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    जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने पीएसए के तहत 'राष्ट्र विरोधी' पोस्ट करने वाले व्यक्ति की हिरासत को रखा बरकरार

    By Rahul SharmaEdited By: Rahul Sharma
    Updated: Tue, 09 Dec 2025 04:45 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने पीएसए के तहत 'राष्ट्र विरोधी' पोस्ट करने वाले एक व्यक्ति की हिरासत को बरकरार रखा है। अदालत ने राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून ...और पढ़ें

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    जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने कहा याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

    डिजिटल डेस्क, जम्मू। जम्मू-कश्मीर और लदाख उच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया पर राष्ट्र विरोधी सामग्री पोस्ट करने के आरोप में वसीम अहमद डार को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में रखने के आदेश को बरकरार रखा है। न्यायाधीश संजय धर ने फरवरी 2024 में कुपवाड़ा के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी हिरासत के आदेश को मंजूरी दी। 

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    न्यायाधीश धर ने अपने आदेश में कहा कि हिरासत में लेने वाली प्राधिकरण की आशंका आरोपी की गतिविधियों के संबंध में विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त रिपोर्टों पर आधारित थी, जिसमें उसके फेसबुक अकाउंट पर अपलोड किए गए वीडियो शामिल थे। 

    उन्होंने कहा कि इन राष्ट्र विरोधी वीडियो, फोटो, पोस्ट और चैट के आधार पर ही हिरासत में लेने वाली प्राधिकरण ने आरोपी को राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिए हिरासत में रखने का निर्णय लिया। 

    पीएसए एक रोकथाम हिरासत कानून है जो अधिकारियों को राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने वाले व्यक्तियों को दो साल तक बिना मुकदमे के जेल में रखने की अनुमति देता है। अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि अधिकारियों ने सामान्य आपराधिक कानून के तहत प्रक्रिया का पालन नहीं किया और सीधे आरोपी को रोकथाम हिरासत में लिया। 

    न्यायाधीश ने यह भी कहा कि उन्हें डिटेंशन के ऑर्डर में दखल देने का कोई आधार नहीं मिला। जस्टिस धर ने कहा, "याचिका में कोई दम नहीं है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है।"