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    कमीशन नहीं, मंदिर चाहिए... Congress MLA का अनोखा राजनीतिक संदेश

    By Yaswant Bhatti Edited By: Mritunjay Pathak
    Updated: Mon, 08 Dec 2025 10:12 AM (IST)

    Bokaro News: कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल सिंह ने अनोखा राजनीतिक संदेश देते हुए कहा कि उन्हें कमीशन नहीं, मंदिर चाहिए। उन्होंने विकास कार्यों में कमीश ...और पढ़ें

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    जरीडीह में गोदाम का शिलान्यास करते विधायक कुमार जयमंगल सिंह और अन्य।

    जागरण संवाददाता, जैनाबोड़ (बोकारो)। राजनीति के गलियारों में जहां अक्सर कमीशन, ठेका और विवादों की चर्चाएं हावी रहती हैं, वहीं रविवार को जरीडीह प्रखंड मुख्यालय में एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। यहां विकास योजनाओं के शिलान्यास के बीच धर्म और राजनीति का अनोखा संगम नजर आया।

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    बेरमो के कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल सिंह ने ग्रामीणों के बीच ऐलान किया-मैं कमीशन नहीं लेता, ठेकेदार मंदिर बनवा दें। यह बयान न केवल ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय बना, बल्कि कार्यक्रम के माहौल में धार्मिक ऊर्जा भर दी।

    कुमार जयमंगल सिंह बेरमो विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं। वे कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र हैं। झारखंड में झामुमो गठबंधन सरकार में कांग्रेस भी शामिल है। 

    विधायक ने जरीडीह प्रखंड क्षेत्र में विभिन्न मदों से होने वाले विकास कार्यों का शिलान्यास किया और फिर झारखंड राज्य खाद्य निगम के गोदाम के जीर्णोद्धार कार्य की नींव रखी।

    इसी दौरान ग्रामीणों ने अपनी-अपनी समस्याएं विधायक के सामने रखीं। लेकिन सबसे खास मुद्दा सामने आया गोदाम के मुहाने पर स्थित अधूरा शिव मंदिर। गांव के चंडी रजवार, जयलाल रजवार, कमल रजवार, खुहीराम रजवार, फटीक सिंह, गुड्डू ठाकुर और विशेश्वर हजाम ने मंदिर निर्माण के लिए अनुदान की मांग रखी।

    विधायक ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- कमीशन नहीं लेता हूं। सड़क निर्माण की जिम्मेदार एजेंसी को मंदिर पूरा करवाने की हिदायत दे दी है। यह सुनते ही ग्रामीणों के चेहरों पर संतोष और खुशी स्पष्ट झलकने लगी। राजनीतिक मंच पर दिए गए इस धार्मिक संकेत ने वातावरण को और भी भावनात्मक बना दिया।

    कार्यक्रम में मुखिया दीपिका देवी, पंसस कविशरन वर्णवाल, बिनोद महतो, बलराम तिवारी, राजेश महतो और धीरन महतो सहित कई ग्रामीण मौजूद रहे।

    धार्मिक आस्था और विकास की राजनीति के इस मेल ने जरीडीह में एक अनूठा उदाहरण पेश किया-जहां सड़क का काम मंदिर की चौखट में आकर आस्था का रूप ले बैठा।