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BJP ने चिराग पासवान को कर दिया खुश, अपनों से मोल लिया बैर! क्या चुनाव में दिखेगा असर?

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने 2009 के लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला अपनाते हुए चतरा विधानसभा सीट घटक दल लोजपा (रामविलास) के लिए छोड़ दी है। इस फैसले से स्थानीय नेता और कार्यकर्ता हतप्रभ हैं। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि BJP के शीर्ष नेतृत्व का फैसला दूरदर्शी है। भविष्य की राजनीति में इसका सार्थक परिणाम देखने को मिलेगा।

By Julqar Nayan Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 18 Oct 2024 04:26 PM (IST)
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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान और बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा। फाइल फोटो
जुलकर नैन, चतरा। Jharkhand Vidhan Sabha Election 2024 भाजपा ने 2009 के लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला अपनाते हुए चतरा विधानसभा सीट (Chatra Vidhan Sabha Seat) घटक दल लोजपा (रामविलास) के लिए छोड़ दी है। चतरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार नहीं होगा। पार्टी के इस निर्णय से स्थानीय नेता व कार्यकर्ता हतप्रभ हैं। वे शीर्ष नेतृत्व से पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं।

उनका कहना है कि सीट शेयरिंग (Jharkhand NDA Seat Sharing) को लेकर परिस्थिति कुछ भी रही हो, लेकिन इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा। घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का चतरा जिले में कोई अस्तित्व नहीं है। राजद को भाजपा ही परास्त कर सकती थी, परंतु निर्णय उम्मीद के विपरीत है।

क्या BJP ने 2009 वाली गलती फिर कर दी?

यहां पर बताते चलें कि 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को राजद उम्मीदवार धीरेंद्र अग्रवाल ने परास्त किया था। जिसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने घटक दल जदयू को चतरा की सीट दे दी थी।

जदयू ने अरुण कुमार यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था। वहीं, भाजपा के स्थानीय नेता व कार्यकर्ता निर्दलीय प्रत्याशी इंदर सिंह नामधारी के समर्थन में आ गए थे। परिणामस्वरूप निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद इंदर सिंह नामधारी ने कांग्रेस के धीरज प्रसाद साहू को हरा दिया था। 2014 के चुनाव में भाजपा स्वयं चुनाव लड़ी और जीती। उसके बाद से लोकसभा में लगातार भाजपा प्रत्याशी की जीत हो रही है।

वहीं, दूसरी ओर इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर पार्टी के इस निर्णय की घोर आलोचना हो रही है। नेताओं व कार्यकर्ताओं का स्पष्ट रूप से कहना है कि शीर्ष नेतृत्व ने स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की है। चतरा परंपरागत सीट है और वैसे में घटक दल के लिए छोड़ना कहीं उचित नहीं है।

इधर, लोजपा (रामविलास) में उम्मीदवारी को लेकर आपाधापी मची हुई है। भाजपा के कई नेता पार्टी सुप्रीमो चिराग पासवान (Chirag Paswan) के संपर्क हैं। सूत्रों का दावा है कि भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष सीमा पासवान (Seema Paswan) लोजपा (रा) की प्रत्याशी हो सकती हैं।

चतरा में बीजेपी का कैसा रहा रिकॉर्ड?

  • भारतीय जनता पार्टी छह अप्रैल 1980 को अस्तित्व में आई। पार्टी गठन के कुछ महीनों के बाद विधानसभा का चुनाव हुआ। पार्टी ने बीकु राम को अपना प्रत्याशी बनाया था। कांग्रेस प्रत्याशी महेश राम निर्वाचित हुए थे, लेकिन 1985 के चुनाव में चतरा सीट पर भगवा लहरा था।
  • 1990 का चुनाव भी भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सिंह भोगता जीते थे। महेंद्र सिंह भोगता ने लगातार दो चुनाव में जीत दर्ज कर चतरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के आधार स्तंभ को सशक्त बना दिया।
  • 1995 का चुनाव भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सिंह भोगता करीब पांच हजार वोटों के अंतर से राजद प्रत्याशी जनार्दन पासवान से हार गए थे, लेकिन 2000 एवं 2004 के चुनाव में फिर से इस सीट पर भगवा ध्वज लहरा। दोनों बार सत्यानंद भोगता निर्वाचित हुए।
  • 2009 के चुनाव में राजद के जनार्दन पासवान निर्वाचित हुए थे। भाजपा के सूबेदार पासवान दूसरे स्थान पर रहे थे। 2014 में भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश सिंह भोगता निर्वाचित हुए थे।, लेकिन 2019 में भाजपा प्रत्याशी जनार्दन पासवान दूसरे स्थान पर रहे थे।
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