PM Modi: 'प्रधानमंत्री मोदी यहां से चुनाव हार गए', BJP की कद्दावर नेता का बड़ा बयान; सियासी पारा हाई!
दुमका सीट पर चुनाव हारने के बाद भाजपा की प्रत्याशी सीता सोरेन ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि वह चुनाव नहीं हारीं हैं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी हार गए हैं। सीता सोरेन ने कहा कि बीजेपी के बड़े नेताओं ने मिलकर मेरे और पार्टी के साथ गद्दारी की है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान ये लोग खड़े तो मेरे साथ थे लेकिन काम विरोधी दल का कर रहे थे।
राजीव, दुमका। दुमका सीट पर चुनाव हारने के बाद पहली बार भाजपा की प्रत्याशी सीता सोरेन ने सोमवार को कहा कि वह चुनाव हारी नहीं हैं बल्कि भाजपा के नेताओं व जिला संगठन ने मिलकर हराया है। उन्होंने कहा कि दुमका में हम नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चुनाव हार गए हैं।
दुमका और जामताड़ा के जिला अध्यक्षों के अलावा पूर्व सांसद सुनील सोरेन, पूर्व मंत्री डॉ. लुईस मरांडी, सारठ के विधायक रणधीर सिंह, संताल परगना प्रभारी सह राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा, जामताड़ा के प्रभारी व पूर्व जिला अध्यक्ष निवास मंडल जैसे बड़े नेताओं ने मिलकर मेरे और पार्टी के साथ गद्दारी की है।
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान ये लोग खड़े तो मेरे साथ थे, लेकिन काम विरोधी दल का कर रहे थे। सीता सोरेने ने आगे कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक-एक सीट पर जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रहे थे। इसी कड़ी में वह दुमका में भी जनसभा करने आए थे, लेकिन इसकी लाज भी जिला संगठन व कुछेक नेताओं ने नहीं रखी।
उन्होंने कहा, यह न सिर्फ समझ से परे है बल्कि काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। सीता ने कहा कि ऐसे नेताओं को अब अविलंब झामुमो का झंडा उठा लेना चाहिए। सीता ने कहा कि इन लोगों ने संगठन और पैसा दोनों को लूटने का काम किया है, जबकि पंचायत व प्रखंड स्तर के कार्यकर्ता बिना किसी लोभ के पार्टी के लिए काम किया है। यही कारण है कि इस चुनाव में भाजपा को वर्ष 2019 के चुनाव से ज्यादा मत मिला है।
सीता ने कहा कि हार के बाद उनके स्तर से शीर्ष नेतृत्व को भेजे गए रिपोर्ट में इन बातों की जानकारी दी गई है। कहा कि जब तक भाजपा में ऐसे नेताओं का जमावड़ा रहेगा तब तक पार्टी का कोई भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाएगा।
सीता ने कहा कि पूरा जिला संगठन चुनाव के दौरान न सिर्फ विपक्ष के हाथों बिक गया था बल्कि मनमाने ढंग से काम कर रहा था। चुनावी प्रबंधन की जिम्मेवारी संभाल रहे राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा भी एक काकस से घिरे रहे और भाजपा विरोधियों को ही साथ दिया। इसकी वजह से बूथ प्रबंधन नहीं हो सका।
उन्होंने कहा कि कई बूथों पर भाजपा के बूथ एजेंट तक नहीं थे। रही-सही कसर जिला प्रशासन ने पूरा कर दी और कहीं ईवीएम में खराबी तो कहीं धीमी गति से मतदान की शिकायतें आने के बाद भी इस पर कोई सार्थक पहल नहीं किया गया। शहरी क्षेत्र में भी मतदान की गति धीमी रहने की शिकायत मिलती रही जबकि इन बूथों भाजपा के मतदाताओं की संख्या अधिसंख्य थी।सीता सोरेन ने आगे कहा कि प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह भी जिला संगठन पर समय पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो पाए जिसकी वजह से ये लोग पूरी साहस और ताकत के साथ विरोधी का मदद करते रहे।
एक सवाल पर कहा कि राज्यसभा सांसद आदित्य साहू के नेतृत्व में गठित प्रदेश स्तरीय दो सदस्यीय कमेटी जीत और हार की समीक्षा करने गई है जिसमें मेरी मौजूदगी का कोई मतलब नहीं है। पर्यवेक्षक क्या रिपोर्ट देते हैं यह तो वहीं जानें, लेकिन हार के कारणों को छुपाने या लीपापोती करने से काम नहीं चलेगा। भविष्य की योजनाओं के सवाल पर कहा कि जनता हमारे साथ है। हम लड़ाई लड़ते रहेंगे और चुनाव की तैयारी भी जारी रखेंगे।
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