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    Hazaribagh News: पत्नी से मनमुटाव हुआ, तो पकड़ी नक्सलवाद की राह, अब पुलिस की गोली का हुआ शिकार

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 06:52 PM (IST)

    केरेडारी में पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने दस लाख के इनामी माओवादी रामखेलावन गंझू उर्फ बिरसेन गंझू को मुठभेड़ में मार गिराया। रामखेलावन 1995 से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय था और कई आपराधिक मामलों में शामिल था। वह AK-47 से लैस होकर नक्सलियों की गतिविधियों को बढ़ावा देता था। उसका मारा जाना सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता है।

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    दस लाख का इनामी नक्सली रामखेलावन गंझू उर्फ बिरसेन गंझू ढेर। फोटो जागरण

    गेंदो वर्मा, केरेडारी (हजारीबाग)। हजारीबाग पुलिस और अर्धसैनिक बल को सोमवार की अहले सुबह बड़ी सफलता मिली। गोरहर थाना क्षेत्र के पातेतिरी जंगल में हुई मुठभेड़ में प्रतिबंधित संगठन एमसीसी का केंद्रीय सदस्य और दस लाख का इनामी माओवादी रामखेलावन गंझू उर्फ बिरसेन गंझू भी मारा गया।

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    रामखेलावन उर्फ बिरसेन केरेडारी थाना क्षेत्र के छोटे से गांव बकचोमा का रहने वाला है। रामखेलावन गंझू बचपन से ही नक्सली गतिविधियों से प्रभावित रहा।

    साल 1995 में उसने माओवादी संगठन से जुड़ाव बनाया, लेकिन 2006-07 में एरिया कमांडर सरिता के नेतृत्व में उसे बड़ा पद मिला और उसने इलाके की कमान संभाली। उसके बाद से वह कभी घर नहीं लौटा।

    पत्नी आंगनबाड़ी सहायिका, बेटी ने छोड़ दी पढ़ाई

    ग्रामीणों के अनुसार, रामखेलावन की शादी बचपन में हो गई थी। पत्नी गीता देवी वर्तमान में बकचोमा आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका हैं और परिवार का भरण-पोषण करती हैं।

    उसकी एक बेटी पहले केरेडारी कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ती थी, लेकिन अब पढ़ाई छोड़कर घर के कामों में मां का हाथ बंटाती है। पत्नी से मनमुटाव और अलगाव को भी उसके नक्सली संगठन से गहरे जुड़ने का एक प्रमुख कारण बताया जाता है।

    6 आपराधिक मामलों का था नामजद अभियुक्त

    रामखेलावन गंझू केरेडारी थाने में दर्ज 6 आपराधिक मामलों का नामजद अभियुक्त था। पुलिस के अनुसार, वह हमेशा AK-47 से लैस दस्ते के साथ रहता था और क्षेत्र में नक्सलियों की गतिविधियों को मजबूती देने का काम करता था।

    1990 से 2005 तक केरेडारी इलाका नक्सली आतंक से कांपता रहा। 1993, 1995, 1997, 1999, 2001 और 2006 में माओवादियों ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया।

    इनमें 2001 में बेलतू गांव में 14 लोगों की सामूहिक हत्या सबसे बड़ी घटना थी। इसके बाद गांव में पुलिस पिकेट स्थापित किया गया, जो आज भी मौजूद है।