Jharkhand News: सरकार से पहले किसानों तक पहुंच गए बिचौलिए, खेतों में खड़े धान की हो रही एडवांस बुकिंग
झारखंड में सरकार द्वारा धान खरीद शुरू करने से पहले ही बिचौलिए सक्रिय हो गए हैं। वे किसानों से खेतों में खड़े धान की एडवांस बुकिंग कर रहे हैं, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिलने की संभावना कम हो रही है। किसान आर्थिक तंगी के कारण कम कीमत पर धान बेचने को मजबूर हैं। सरकार किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए कदम उठा रही है।
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धान की फसल। (जागरण)
विकास कुमार, हजारीबाग। धान की फसल इस बार बंपर हुई है। जिले में करीब 2 लाख 41 हजार टन उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। इस शानदार पैदावार से जहां किसानों के चेहरों पर मुस्कान है, वहीं बिचौलिए भी सक्रिय हो उठे हैं।
खेतों में अभी धान की कटाई शुरू भी नहीं हुई है, लेकिन सरकार से पहले बिचौलिए गांव-गांव और खेत-खेत पहुंचकर किसानों से एडवांस बुकिंग करने में जुट गए हैं।
जानकारी के अनुसार, हजारीबाग जिले के इचाक, कटकमसांडी, बड़कागांव, विष्णुगढ़ और बरकट्ठा प्रखंडों के कई गांवों में बिचौलिए किसानों से संपर्क कर रहे हैं। वे 1200 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खेत में खड़े धान की बुकिंग कर रहे हैं। नकद भुगतान और तुरंत उठाव का लालच देकर ये बिचौलिए किसानों को सरकारी दर का इंतजार न करने की सलाह दे रहे हैं।
किसान भी गोदाम की कमी, भंडारण की परेशानी और सरकारी खरीद प्रक्रिया की देरी से चिंतित हैं। उनका कहना है कि सरकारी खरीद केंद्रों की व्यवस्था कब शुरू होगी, इसका कोई भरोसा नहीं है। किसान अशोक महतो बताते हैं कि सरकार हर साल देर से खरीद शुरू करती है। जब तक पैक्स खुले, तब तक हमारा धान खराब होने लगता है। मजबूरी में कम दाम पर बेच देते हैं।
पिछले वर्ष हजारीबाग जिले में 71 पैक्स केंद्रों के माध्यम से सरकारी धान खरीद की गई थी। इस बार कृषि विभाग की तैयारी का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई पहल नहीं दिख रही। न पैक्स की सूची जारी हुई है, न किसानों को खरीद तिथि की जानकारी दी गई है।
मालूम हो कि पिछली बार सरकार ने 2300 रुपये प्रति क्विंटल के दर से धान खरीदा था, जिस पर 100 रुपये बोनस भी दिया गया था।
आंध्र प्रदेश के व्यापारी भी संपर्क में, रैक से भेजा जाता है धान
हजारीबाग के धान, विशेषकर सीता किस्म, की आंध्र प्रदेश में जबरदस्त मांग है। जानकारी के मुताबिक स्थानीय बिचौलिए कम दाम में खेतों से धान उठाकर आंध्र प्रदेश के बड़े मिलरों को बेच देते हैं। वहां से चावल तैयार कर अफ्रीकी देशों में सप्लाई की जाती है।
रेलवे रैक के जरिए हजारीबाग से सीधे काकीनाड़ा स्थित राइस मिलों तक धान भेजा जाता है। बताया जाता है कि आंध्र प्रदेश में ट्रकों से धान भेजने पर पाबंदी है, इसलिए वहां ट्रेन के जरिए बड़े पैमाने पर धान की सप्लाई होती है। यही कारण है कि यहां के बिचौलिए किसानों से कम दाम पर खरीद कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
धान का भंडारण सबसे बड़ी समस्या, गोदाम भरते ही थम जाती है खरीद
एफपीओ संचालक व किसान अशोक मेहता का कहना है कि सरकार की देरी हर साल किसानों को घाटे में डाल देती है। जैसे ही धान पकता है, बिचौलिए ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर खेतों में पहुंच जाते हैं, वे बताते हैं।
एक पैक्स की औसतन भंडारण क्षमता मात्र एक हजार क्विंटल है। राइस मिल की संख्या सीमित होने से गोदामों से धान का उठाव समय पर नहीं हो पाता, जिससे खरीदारी रुक जाती है। यही कारण है कि किसान मजबूरी में बिचौलियों के हाथों धान बेचने को विवश हो जाते हैं।
पैक्सों से मांगी गई 24 लाख की बैंक गारंटी, किसानों में नाराजगी
जानकारी के अनुसार, इस बार धान की खरीद में नई अड़चन सामने आई है। सरकार के आपूर्ति विभाग द्वारा एक हजार क्विंटल धान की खरीद पर 24 लाख रुपये की बैंक गारंटी की शर्त रखी गई थी। इस प्रस्ताव का पत्र जिला सहकारिता पदाधिकारी द्वारा जारी किया गया, लेकिन किसानों के विरोध के बाद यह विवाद बढ़ गया है।
किसानों का कहना है कि इतनी भारी गारंटी की शर्त से कोई भी पैक्स आवेदन देने को तैयार नहीं है। हालांकि, विरोध के बाद सरकार इस प्रस्ताव को वापस लेने पर विचार कर रही है। लेकिन जब तक निर्णय नहीं होता, तब तक बिचौलियों को खेतों से धान खरीदने का और मौका मिल जाएगा।
इस बार धान की पैदावार बहुत अच्छी हुई है। व्यापारी हमारे घरों तक आकर धान लेने का वादा कर रहे हैं। कम दाम जरूर मिलता है, लेकिन पैसा तुरंत मिल जाता है। सरकारी खरीद में पैसा आने में महीनों लग जाते हैं, इसलिए मजबूरी में व्यापारी को ही देते हैं।
- जागेश्वर प्रसाद कुशवाहा, किसान

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