HIJLAहत्याकांड: 32 साल बाद झाड़ग्राम अदालत का बड़ा फैसला, झारखंड पार्टी के 45 कार्यकर्ताओं को उम्रकैद
खड़गपुर से, 1993 के हिजला हत्याकांड में झाड़ग्राम अदालत ने झारखंड पार्टी के 45 सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। प्रत्येक दोषी पर 22,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला भाकपा (मार्क्सवादी) के छह कार्यकर्ताओं की हत्या से जुड़ा है। अदालत ने 103 आरोपियों में से 45 को दोषी पाया, जबकि अन्य की मौत हो गई या वे फरार हैं। परिजनों ने फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है।

फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, खड़गपुर। झाड़ग्राम की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-द्वितीय अरविंद मिश्रा ने 1993 के बहुचर्चित हिजला हत्याकांड में ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए झारखंड पार्टी के 45 सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने प्रत्येक दोषी पर 22,000 का अर्थदंड भी लगाया है।
यह मामला 7 मई 1993 का है, जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के छह कार्यकर्ताओं मनोज गोड़ाई, बिपुल महतो, कार्तिक महतो, डॉ. सौमेन मुखर्जी, साधन महतो और बिद्युत महतो को हिजला क्षेत्र में पार्टी बैठक के दौरान अगवा कर लिया गया था। अगले दिन कपाट कातार जंगल से उनके शव बरामद हुए थे।
जांच में खुलासा हुआ कि इनकी हत्या चाकू, भाला, लाठी और तीर जैसे धारदार हथियारों से क्रूरतापूर्वक की गई थी। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव फैल गया था और इसे उस समय राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मामला माना गया था।
103 के खिलाफ मामला, 45 दोषी करार
हत्या के बाद 8 मई 1993 को पुलिस ने झारखंड पार्टी के 103 सदस्यों के विरुद्ध मामला दर्ज किया था। लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद अदालत ने 45 आरोपियों को दोषी करार दिया। अदालत को बताया गया कि मुकदमे के दौरान 103 में से 39 आरोपी अब नहीं रहे, जबकि 19 अब भी फरार हैं।
फैसले के खिलाफ परिजन जाएंगे उच्च न्यायालय
दोषियों के परिजनों ने अदालत के निर्णय पर असहमति जताई है। उनका कहना है कि अभियुक्त निर्दोष हैं और उन्हें न्याय नहीं मिला। उन्होंने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की घोषणा की है।
तीन दशकों बाद आए इस निर्णय ने हिजला हत्याकांड के पीड़ित परिवारों को राहत दी है, वहीं राजनीतिक हलकों में इस पर व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।

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