Champai Soren: क्या चंपई की झामुमो में फिर होगी वापसी? हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण से पहले JMM ने दिया खुला ऑफर
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने आशंका व्यक्त की है कि राज्य में आदिवासी और अनुसूचित जाति की आरक्षित विधानसभा सीटें घटाई जा सकती हैं। झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि 2025 में जनगणना प्रस्तावित है उसके बाद परिसीमन भी होने वाला है। उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा की कोशिश है कि झारखंड की आरक्षित सीटों की संख्या कम की जाए।
राज्य ब्यूरो, रांची। विधानसभा चुनाव में शानदार जीत से उत्साहित झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को आशंका है कि राज्य में आदिवासी और अनुसूचित जाति की आरक्षित विधानसभा सीटें घटाई जा सकती है। झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा सही नहीं होगा।
पार्टी कार्यालय में एक प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2025 में जनगणना प्रस्तावित है। उसके बाद परिसीमन भी होने वाला है। 2012 में भी जब परिसीमन आयोग राज्य के दौरे पर आया था तो पार्टी ने ऐसी आशंका व्यक्त की थी।
अभी भी आशंका है कि साजिश के तहत आरक्षित सीटों पर इनका प्रहार होने जा रहा है क्योंकि भाजपा को दलित और आदिवासी पसंद नहीं हैं। संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो गया है। इसमें भी आरक्षित सीटों पर बात हो सकती है। भाजपा की कोशिश है कि झारखंड की आरक्षित सीटों की संख्या कम की जाए।
चंपई आवेदन दें तो विचार करेंगे, रोजगार देने वाले बेरोजगार हो गए
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि दल छोड़कर जाने वाले चंपई सोरेन अगर झामुमो में वापसी के लिए आवेदन देंगे तो इसपर पार्टी विचार करेगी। आजसू प्रमुख सुदेश महतो पर तंज कसते हुए कहा कि वे रोजगार की सरकार बनाने वाले थे, लेकिन खुद बेरोजगार हो गए।
उन्होंने मांडू के नवनिर्वाचित विधायक के उस प्रस्ताव पर भी चुटकी ली जो सुदेश महतो के लिए सीट खाली करना चाहते हैं। आशा जताई कि जयराम महतो की पार्टी के प्रति जनता ने विश्वास जताया है। वे सरकार के साथ सकारात्मक दिशा में चलेंगे।
पीएम और असम के सीएम का शपथ ग्रहण में स्वागत
झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में हम चाहते हैं कि देश के पीएम और असम के सीएम भी शामिल हों। भाजपा अभी भी विष वमन कर रही है। जनादेश को विपक्ष पचा नहीं पा रहा है। भाजपा के नेताओं ने यहां के मूलवासी-आदिवासी को दबाकर अपना नेतृत्व थोपा था। उनको ये बात हजम नहीं हो रही है। उनकी जुबान में अब भी जहर भरा है।
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