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    बिलायती चीनी... बुलबुल... चूना पत्थर… सुरक्षाबल कैसे रखते हैं नक्सलियों के खिलाफ अभियान का नाम

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 03:05 PM (IST)

    रांची झारखंड पुलिस ने हजारीबाग में ऑपरेशन चूना पत्थर के तहत एक करोड़ के इनामी माओवादी कमांडर सहदेव सोरेन समेत तीन माओवादियों को मार गिराया। माओवादियों के खिलाफ चले कई अभियानों में ऑपरेशन चूना पत्थर भी शामिल है जिसके नाम क्षेत्र की पहचान और विशेषताओं पर रखे जाते हैं। सुरक्षा बलों को ऑपरेशन डबल बुल बूढ़ा ऑक्टोपस और थंडर स्टॉर्म जैसे अभियानों में भी सफलता मिली है।

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    सुरक्षाबल कैसे रखते हैं नक्सलियों के खिलाफ अभियान का नाम

    दिलीप कुमार, रांची। झारखंड पुलिस ने एक दिन पहले हजारीबाग में ऑपरेशन चूना पत्थर के तहत एक करोड़ के इनामी माओवादी कमांडर सहदेव सोरेन उर्फ प्रवेश समेत तीन बड़े माओवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया।

    सुरक्षा बल की इस बड़ी सफलता के साथ ही चूना पत्थर नाम की भी जमकर चर्चा हो रही है। झारखंड में पिछले ढाई दशक के दौरान माओवादियों के विरुद्ध ऐसे कई आपरेशन चलाए गए, जो अपने विशेष नाम की वजह से भी चर्चा में रहे। कई नाम तो फिल्मों के नाम की तरह लोगों की जुबान पर चढ़ गए।

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    माओवादियों के विरुद्ध चलने वाले विशेष अभियानों के नाम संबंधित क्षेत्र की पहचान व विशेषताओं को देखकर रखे जाते हैं। ऑपरेशन बुलबुल और बिलायती चीनी से लेकर चूना पत्थर तक माओवादियों के विरुद्ध राज्य में आधा दर्जन से अधिक अभियान चलाए जा चुके हैं। इन अभियानों में सुरक्षाबलों को बड़ी उपलब्धि भी मिली हैं।

    आईजी सीआरपीएफ झारखंड चैप्टर साकेत कुमार सिंह के अनुसरा अभियानों के नाम काफी सोच-विचार कर रखे जाते हैं। रोचक नाम रखे जाने के पीछे उद्देश्य यह रहता है कि उस अभियान में शामिल जवान एक लक्ष्य तय कर पूरे उत्साह और जोश के साथ उस अभियान को अंजाम दें।

    माओवादियों के विरुद्ध चलाए गए कुछ प्रमुख अभियान

    ऑपरेशन डबल बुल

    लोहरदगा-लातेहार सीमा पर पर स्थित बुलबुल जंगल में यह अभियान चला था। बुलबुल में बुल शब्द दो बार आया है। इसलिए अभियान का नाम ऑपरेशन डबल बुल दिया गया था।

    ऑपरेशन बूढ़ा

    बूढ़ा पहाड़ पर सबसे पहले ऑपरेशन बूढ़ा चलाया गया था। इस पहाड़ के नाम पर ही उस अभियान का नाम ऑपरेशन बूढ़ा पड़ा था।

    ऑपरेशन ऑक्टोपस

    लातेहार, गढ़वा व पलामू जिले से सटे छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ पर यह एक बड़ा अभियान था। इसके पीछे यह तर्क था कि ऑक्टोपस की तरह सभी भुजाएं फैलाकर बूढ़ा पहाड़ को सुरक्षा बल चारो तरफ से घेरेंगे, ताकि माओवादी कहीं से भागने न पाएं। अभियान के दौरान बूढ़ा पहाड़ माओवादियों से खाली कराया गया।

    ऑपरेशन थंडर स्टॉर्म

    इस शब्द का हिंदी अर्थ आंधी तूफान है। खूंटी, सरायकेला-खरसावां व चाईबासा जिले की सीमा पर स्थित ट्राई जंक्शन क्षेत्र में यह अभियान चला था। यह क्षेत्र पूरी तरह से माओवादियों के कब्जे में था। इस क्षेत्र को माओवादियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए सुरक्षा बलों ने उनका सामना किया और उक्त क्षेत्र को माओवादियों से मुक्त कराया।

    ऑपरेशन डाकाबेड़ा

    बोकारो जिले में 21 अप्रैल को ऑपरेशन डाकाबेड़ा में ही एक करोड़ के इनामी विवेक उर्फ प्रयाग मांझी सहित आठ माओवादी मारे गए थे। ऑपरेशन डाकाबेडा वहां के एक गांव डाका जाम बेड़ा के नाम पर पड़ा था। गांव का नाम बड़ा था, इसलिए जाम हटाकर उसका नाम ऑपरेशन डाकाबेड़ा दिया गया था।

    ऑपरेशन बिलायती चीनी

    चाईबासा में माओवादियों के विरुद्ध चले इस अभियान का नाम वहां के आसपास के दो-तीन गांवों के नाम को जोड़कर दिया गया था। एक गांव का नाम बिलायती शेर था। इसी को ध्यान में रखते हुए उस अभियान का नाम ऑपरेशन बिलायती चीनी रखा गया।

    ऑपरेशन एडवेंटस

    चाईबासा में ही माओवादी विरोधी एक अभियान का नाम ऑपरेशन एडवेंटस दिया गया था। यह ईश्वर के नाम पर है। कुछ अंग्रेजी जानने वालों ने इसका नाम अंग्रेजी में रखा था।

    ऑपरेशन चूना पत्थर

    हजारीबाग जिले में सोमवार (15 सितंबर) को चला ऑपरेशन चूना पत्थर का नामकरण उस क्षेत्र में मिलने वाले चूना पत्थर व चूना पत्थर नामक वाटर फाल के आधार पर किया गया था।