Chakradharpur Vidhan sabha Chunav result 2024: चक्रधरपुर में JMM ने लगाई जीत की हैट्रिक, लगातार दूसरी बार जीते सुखराम
झारखंड की चक्रधरपुर विधानसभा सीट में एक बार फिर झामुमो पार्टी के उम्मीदवार को सफलता मिली है। इस सीट से मौजूदा विधायक सुखराव उरांव ने चुनाव जीता है। इससे पहले साल 2005 और 2019 में सुखराव उरांव इस सीट से विधायक चुने गए। उन्होंने एजेएसयू शशिभूषण समद को हराया। सुखराव की जीत के बाद कार्यकर्ताओं मे जश्न का माहौल है।
डिजिटल डेस्क, रांची। Chakradharpur Vidhan Sabha Chunav Result 2024: झारखंड की चक्रधरपुर विधानसभा सीट झामुमो और भाजपा के बीच चुनावी जंग का केंद्र रही है। पिछले दो बार के चुनाव में इस सीट से झामुमो उम्मीदवार ही जीत हासिल करते आ रहे हैं। अब एक बार फिर चक्रधरपुर विधानसभा सीट से झामुमो विधायक सुखराम उरांव ने जीत हासिल की है। उन्हें 58639 वोट मिले।
3 बार झामुमो, 2 बार भाजपा को मिली जीत
साल 2005 में हुए चुनाव में झामुमो के सुखराम उरांव ने इस सीट से जीत हासिल की और विधायक बने। 2009 के चुनाव में यहां से भाजपा ने जीत दर्ज की और उसके नेता लक्ष्मन गिलुआ यहां से विधायक बने। 2014 के चुनाव में झामुमो ने वापसी की और उसके नेता शशिभूषण समद यहां से विधायक चुने गए। 2019 में झामुमो के सुखराम उरांव इस सीट से लड़कर विधानसभा पहुंचे और अब एक बार फिर जनता ने उन पर विश्वास जताया है।
चक्रधरपुर विधानसभा सीट का इतिहास
झारखंड की 81 विधानसभा क्षेत्रों में चक्रधरपुर भी शामिल है। सिंहभूम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा यह क्षेत्र पश्चिमी सिंहभूम जिले का विकसित शहर है। चक्रधरपुर की गिनती झारखंड के विकसित इलाकों में की जाती है। यह शहर नगरपालिका प्रशानिक कार्यालय की ओर से संचालित किया जाता है। यहां के शहर क्षेत्र में रहने वाले ज्यादातर लोग राजनीति के प्रति सजग और पढ़े लिखे हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के हैं। इस इलाके में बड़े पैमाने पर खनन के लिए विभिन्न कंपनियां स्थापित की गई हैं।1952 से अब तक चक्रधरपुर विधानसभा ने यूं किया सफर
आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से झारखंड पार्टी के सुखदेव माझी चुने गए थे। 1952 में हुए पहले चुनाव के बाद अब तक हुए चुनाव के परिणामों पर निगाहें डाली जाए, तो स्पष्ट होता है कि क्षेत्र में आठ बार झारखंड नामधारी दल, एक बार जनसंघ व चार बार भाजपा, दो बार निर्दलीय, एक-एक बार जनता पार्टी व कांग्रेस को सफलता मिली है। हालांकि, 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी रुद्र प्रताप षाडंगी एवं 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले लोग जनसंघ अथवा भाजपा के ही कहे जाते हैं। इस प्रकार चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र में अब तक भारतीय जनता पार्टी के दबदबे का इतिहास रहा है। जबकि भाजपा को चुनौती झारखंड नामधारी दलों से ही मिलती रही है। क्षेत्र से कांग्रेस सिर्फ एक बार 1972 में चुनाव जीत सकी है।
चक्रधरपुर एवं खरसावां कभी थे संयुक्त क्षेत्र
1952 में जब बिहार में विस के क्षेत्रों की कुल संख्या 330 थी तो चक्रधरपुर को संख्या 320 दी गई थी। 1957 में चक्रधरपुर एवं खरसावां क्षेत्र को मिलाकर चक्रधरपुर सामान्य क्षेत्र व चक्रधरपुर अनुसूचित जनजाति आरक्षित क्षेत्र दो विधायक के लिए चुनाव हुआ। इस वर्ष से बिहार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की कुल संख्या घटाकर 318 कर दी गई। पांच वर्ष बाद 1962 के चुनाव में इसे पुन: खरसावां से अलग कर दिया गया। इस बार क्षेत्र संख्या 292 को सोनुवा (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र बना दिया गया और चक्रधरपुर को 293 (सामान्य) क्षेत्र का दर्जा दिया गया। 1967 के चुनाव में 293 चक्रधरपुर को पुन: अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया। तब से आज तक यह क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है।निर्दलीय रूद्र प्रताप षाड़ंगी व हरिचरण सोय बने विधायक
चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए पहले चुनाव में 1952 में झारखण्ड पार्टी के सुखदेव माझी विजयी हुए। 1957 में चक्रधरपुर सामान्य क्षेत्र से झारखण्ड पार्टी के श्यामल पसारी एवं चक्रधरपुर अनुसूचित जनजाति सुरक्षित से झारखंड पार्टी के हरिचरण सोय निर्वाचित हुए। 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी रूद्र प्रताप षाड़ंगी, 1967 में जनसंघ के उम्मीदवार मझिया माझी, 1969 में निर्दलीय प्रत्याशी हरिचरण सोय, 1972 में कांग्रेस के थियोडर बोदरा, 1977 में जनता पार्टी के जगन्नाथ बांकिरा, 1980 में झामुमो के देवेंद्र माझी, 1985 में भाजपा के जगन्नाथ बांकिरा, 1990 में झामुमो के बहादुर उरांव, 1995 में भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा व 2000 में भाजपा के चुमनू उरांव चुनाव जीते।
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