प्रेग्नेंसी में खतरनाक हो सकती है जेस्टेशनल डायबिटीज, कंट्रोल करने के लिए अपनाएं ये तरीके
Pregnancy एक महिला के जीवन का सबसे अहम पड़ाव होता है। इस दौरान उन्हें कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना करना पड़ता है। साथ ही कई तरह की समस्याओं का भी शिकार होना पड़ सकता है। Gestational Diabetes इन्हीं में से एक है जिसके कई गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। ऐसे में कुछ तरीकों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बनाने में असमर्थ होता है या फिर प्लेसेंटा के कारण हार्मोनल असंतुलन होता है, तो शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाता है और ग्लूकोज शरीर में एकत्रित होने लगता है। इस स्थिति को ही जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) कहा जाता है। इससे ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है, जिसे हर समय मॉनिटर करने की जरूरत होती है।
अगर ध्यान न दिया गया तो जेस्टेशनल डायबिटीज के गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं, जैसे स्टिल बर्थ, प्री-टर्म बर्थ, बर्थ इंजरी, मैक्रोसोमिया आदि। हालांकि, बच्चे के जन्म के बाद ये धीरे-धीरे खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन इससे भविष्य में डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए सही खानपान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बहुत जरूरी है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे जेस्टेशनल डायबिटीज को कंट्रोल करने के कुछ आसान तरीकों के बारे में-
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ऐसे करें जेस्टेशनल डायबिटीज कंट्रोल
- प्रेग्नेंसी के 24 से 28वें हफ्ते में एक स्क्रीनिंग कराई जाती है, जिससे जेस्टेशनल डायबिटीज का पता चलता है। इसलिए इस दौरान ग्लूकोज स्क्रीनिंग और ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट नाम के प्रीनेटल टेस्ट जरूर कराएं, जिससे जेस्टेशनल डायबिटीज की पुष्टि की जा सके।
- स्वस्थ खानपान रखें। फाइबर, प्रोटीन और विटामिन रिच बैलेंस्ड डाइट लें। शुगर, एक्स्ट्रा कार्ब्स, कॉलेस्ट्रॉल रिच डाइट से दूरी बनाएं। जंक और प्रोसेस्ड फूड का सेवन बिल्कुल न करें। आर्टिफिशियल स्वीटनर और प्रिजर्वेटिव से भरपूर फूड्स को भी अपनी डाइट से बाहर निकाल दें।
- कम से कम हफ्ते में 5 दिन और एक दिन में लगभग आधे घंटे वॉक जरूर करें। अपने डॉक्टर के निर्देशानुसार योगा, एक्सरसाइज और वर्कआउट करें। शारीरिक गतिविधि की मदद से एक्टिव बने रहें।
- अपने वजन पर नजर रखें। बहुत तेजी से बढ़ता हुआ वजन जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए इस दौरान बढ़ने वाले वजन की चर्चा अपने डॉक्टर से करें और अधिकतम वेट गेन की जानकारी रखें।
- फास्टिंग, खाने से दो घंटे बाद और रैंडम ब्लड शुगर लेवल चेक करती रहें, जिससे जेस्टेशनल डायबिटीज के बढ़ने और कम होने की जानकारी मिलती रहे।