हरी चटनी के साथ भर-भरकर खाते हैं समोसा-कचौड़ी, तो जानें कैसे Diabetes का शिकार बना रहा आपका फेवरेट फूड
शायद ही कोई ऐसा हो जिसे समोस-कचौड़ी (Samosa Chips Triggering Diabetes) खाना पसंद नहीं। भारत में लोग बड़े शौक से इन स्ट्रीट फूड्स को खाते हैं लेकिन हाल ही में सामने आई ICMR की एक स्टडी के बाद आप इन्हें खाने से पहले 10 बार सोचने वाले हैं। दरअसल अध्ययन में पता चला कि इन फूड्स को खाने के Diabetes का खतरा बढ़ता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत एक ऐसा देश है, जहां खाने के शौकीनों की कमी नहीं है। अनेकता में एकता की छाप सिर्फ यहां की बोली और रहन-सहन में ही नहीं, बल्कि खानपान में भी देखने को मिलती है। समोसा,कचौड़ी, पकौड़े यहां बड़े शौक से खाए जाते हैं, लेकिन अगर हम आपसे कहे कि आपके पसंदीदा ये फूड्स आपको डायबिटीज का शिकार बना सकते हैं, तो क्या आप यकीन करेंगे। ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च यानी ICMR का कहना है।
दरअसल, हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि लो-एज (AGE- एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स) वाली डाइट डायबिटीज के खतरे को कम करने में योगदान कर सकती है। भारत को पहले दुनिया का डायबिटीज कैपिटल करार दिया गया है, जहां 101 मिलियन से ज्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। ऐसे में हाल ही में सामने आई यह स्टडी चिंता बढ़ाने वाली है। आइए विस्तार से जानते हैं इस नए अध्ययन के बारे में-
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क्या कहती है स्टडी?
यह अध्ययन ICMR और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन, चेन्नई के सहयोग से किया गया, जो 25 से 45 वर्ष की आयु के 38 ज्यादा वजन वाले और मोटापे से ग्रस्त वयस्कों पर केंद्रित था, जिनमें से सभी का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 23 या इससे ज्यादा था। शोधकर्ताओं ने 12 हफ्तों की अवधि में दो तरह की डाइट High-AGE और Low-AGE के प्रभावों की तुलना की। AGE हानिकारक कंपाउंट होते हैं, जो तब बनते हैं जब किसी फूड को हाई टेंपरेचर पर पकाया जाता है, खासकर प्रोसेस्ड और फ्राइड फूड्स में।
ये कंपाउंड इंफ्लेमेशन, इंसुलिन रेजिस्टेंस और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान करने के लिए जाने जाते हैं, जिससे डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
ये रहा निष्कर्ष?
इस अध्ययन में शामिल लोगों ने 12 हफ्ते तक दोनों तरह की डाइट फॉलो की। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंसेज एंड न्यूट्रिशन में पब्लिश इस स्टडी निष्कर्ष आशाजनक थे। Low-AGE डाइट वाले लोगों ने इंसुलिन सेंसिटिविटी में काफी सुधार किया, जिसे ओरल डिस्पोजल इंडेक्स (डीआईओ) नामक टेस्ट से मापा गया। खराब इंसुलिन सेंसिटिविटी टाइप 2 डायबिटीज के विकास में एक महत्वपूर्ण कारक है। इंसुलिन सेंसिटिविटी का मतलब यह है कि शरीर ब्लड शुगर को कम करने के लिए इंसुलिन (हार्मोन) का कितनी अच्छी तरह इस्तेमाल करता है।
Low-AGE डाइट वाले लोगों में खाने के 30 मिनट बाद ब्लड शुगर का स्तर कम देखा गया। साथ ही उनके खून में AGE का स्तर भी कम हो गया। वहीं, इसके विपरीत High-AGE डाइट वाले लोगों में इसका लेवल ज्यादा पाया गया, जो डायबिटीज और हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा सकता है।
शोधकर्ताओं ने स्टडी में बताया कि निम्न फूड्स हाई AGE कंटेंट के कारण हानिकारक हो सकते हैं-
- फ्राइड फूड्स: चिप्स, फ्राइड चिकन, समोसे, पकौड़े
- बेक्ड फूड्स: कुकीज, केक, क्रैकर
- प्रोसेस्ड फूड्स: रेडीमेड मील, मार्जरीन, मेयोनेज,
- उच्च तापमान पर पकाए गए एनिमल बेस्ड फूड्स: ग्रील्ड या रोस्ट मीट जैसे बेकन, बीफ और पोल्ट्री
- मेवे: ड्राई फ्रूट्स, रोस्टेड अखरोट, सनफ्लावर सीड्स