Maharashtra Election: महाराष्ट्र में कौन बनेगा किंगमेकर? निर्दलीय और बागियों पर MVA-महायुति की नजर
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद यदि दोनों प्रमुख गठबंधनों सत्तारूढ़ महायुति एवं विपक्षी महाविकास अघाड़ी (मविआ) को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो सरकार बनाने में बागी निर्दलीय एवं छोटे दलों के विधायकों की संख्या महत्वपूर्ण हो सकती है। महाराष्ट्र में ऐसा पहले भी कई बार होता रहा है। महाराष्ट्र विधानसभा में निर्दलीय विधायकों की भूमिका 1995 से ही अहम रहती आई है।
ओमप्रकाश तिवारी मुंबई, 22 नवंबरः शनिवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद दोनों प्रमुख गठबंधनों सत्तारूढ़ महायुति एवं विपक्षी महाविकास अघाड़ी (मविआ) को यदि स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, तो सरकार बनाने में बागी, निर्दलीय एवं छोटे दलों के विधायकों की संख्या महत्त्वपूर्ण हो सकती है। महाराष्ट्र में ऐसा पहले भी कई बार होता रहा है।
महाराष्ट्र विधानसभा में निर्दलीय विधायकों की भूमिका 1995 से ही महत्त्वपूर्ण रहती आई है। शिवसेना-भाजपा गठबंधन करके तो 1990 में भी चुनाव लड़ी थीं। लेकिन बाबरी ढांचा ढहने एवं उसके बाद मुंबई में हुए दंगों और बम विस्फोटों के बाद पहली बार 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में भी शिवसेना-भाजपा गठबंधन 138 सीटों पर अटक गया था, और कांग्रेस को 80 सीटें मिली थीं।
त्रिकोणीय मुकाबलों में चुनकर आए थे 45 निर्दलीय विधायक
अर्थात, 288 सदस्यों वाली विधानसभा में ये दोनों ही अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थे। जबकि उस चुनाव में हुए त्रिकोणीय मुकाबलों में 45 निर्दलीय विधायक चुनकर आए थे। तब शिवसेना-भाजपा गठबंधन ने इन्हीं निर्दलियों की मदद से सरकार बनाई थी।इस बार तो मुकाबला त्रिकोणीय-चतुष्कोणी नहीं, बल्कि बहुकोणीय नजर आ रहा है। बड़ी संख्या में सभी दलों के बागी खड़े हैं। किसी भी दल से संबंध न रखनेवाले मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या भी कम नहीं है। साथ ही, अलग-अलग क्षेत्रों या जातीय समूहों पर प्रभाव रखनेवाले छोटे दलों के भी उम्मीदवार भी कम नहीं हैं। ये सभी खुद जीतकर आएं न आएं, लेकिन दोनों प्रमुख गठबंधनों के उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ने में तो भूमिका अवश्य निभाएंगे।
9-9 बागी के बीच है कड़ा मुकाबला
पहले बागियों की बात की जाए तो इस बार सभी दलों के 120 बागी उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें सबसे अधिक 39 बागी भाजपा के हैं। इनमें से 17 शिवसेना (शिंदे) के विरुद्ध, नौ राकांपा (अजित) के विरुद्ध और 13 भाजपा के ही अधीकृत उम्मीदवारों के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे हैं। इसी प्रकार कांग्रेस के 21, राकांपा (शरदचंद्र पवार) के 13, शिवसेना (यूबीटी) के 12, शिवसेना (शिंदे) के नौ और राकांपा अजित के भी नौ बागी मैदान में हैं। इनमें से कई बागी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं, और जीत भी सकते हैं। ऐसे बागियों से पार्टियों ने अभी से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।2019 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के बागी एवं समविचार के 10 विधायक चुनकर आए थे। ये सभी चुनाव के तुरंत बाद महाविकास आघाड़ी की सरकार बनने के बावजूद उसके साथ नहीं गए, और अंत तक भाजपा के साथ ही बने रहे थे। बागियों के अलावा बड़ी संख्या में कई छोटे दलों के उम्मीदवार भी खड़े हैं। अलग-अलग क्षेत्रों या समूहों पर इनका अच्छा प्रभाव भी है। इनके कई उम्मीदवार या तो जीत सकते हैं, या बड़े दलों का खेल बिगाड़ सकते हैं।
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