महाराष्ट्र में फिर पाला बदलने की तैयारी में पूर्व मंत्री, BJP छोड़कर शरद पवार की NCP में शामिल होने की अटकलें
महाराष्ट्र में बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल के दल बदलने की चर्चा है। पाटिल शरद पवार की पार्टी एनसीपी में शामिल हो सकते हैं। बीजेपी नेता ने शरद पवार से उनके आवास पर मुलाकात भी की है। उधर बीजेपी का कहना है कि अगर पाटिल शरद पवार के साथ जाते हैं तो उन्हें अपने फैसले पर पछतावा होगा।
एजेंसी, पीटीआई। महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव से पहले बीजेपी के कद्दावर नेता हर्षवर्धन पाटिल के बीजेपी छोड़ने की अटकलें हैं। हर्षवर्धन शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो सकते हैं।
शरद पवार से की मुलाकात
हर्षवर्धन ने एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की है। ये मुलाकात शरद पवार के दक्षिण मुंबई में स्थित आवास सिल्वर ओक्स पर हुई है। पाटिल ने खुद इसकी पुष्टि की है। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि राज्य विधानसभा चुनाव से पहले वह पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
शरद पवार से मुलाकात के बाद क्या बोले पाटिल?
बीजेपी नेता ने कहा कि शरद पवार ने मुझसे अपनी पार्टी में शामिल होने और विधानसभा चुनाव लड़ने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि वह मुझे चुनाव जिताएंगे। वहीं, दोनों नेताओं की मुलाकात पर बीजेपी की भी प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि पाटिल को पार्टी छोड़ने के फैसले पर पछतावा होगा।
पार्टी छोड़ने वालों को होगा पछतावा
उन्होंने कहा कि जो लोग यह महसूस कर रहे हैं कि उन्हें विधानसभा चुनावों में बीजेपी की ओर से फिर से मैदान में नहीं उतारा जाएगा, वे पार्टी छोड़ रहे हैं। जब हम चुनाव जीतेंगे और वह पार्टी में फिर से शामिल होने के लिए हमारे पास आएंगे, तो हमारे शीर्ष नेता तय करेंगे कि उन्हें वापस लेना है या नहीं।
कौन हैं हर्षवर्धन पाटिल?
बता दें कि इंदापुर सीट से चार बार विधायक चुने जा चुके पाटिल फिर से इंदापुर से चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं। फिलहाल इस सीट पर गठबंधन में शामिल एनसीपी की दावेदारी है। पाटिल 1995-99 के दौरान शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में कृषि और विपणन राज्य मंत्री रहे। उन्होंने 1995 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता। वे 1999 से 2014 तक कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार के दौरान मंत्री रहे। वे 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए और सहकारिता और संसदीय मामलों के मंत्री रहे।