गुजरात में अस्पताल का बड़ा कांड: आयुष्मान योजना के 19 लोगों को किया भर्ती, बिना बताए कर दी एंजियोप्लास्टी, 2 की मौत
गुजरात में एक अस्पताल में दो मरीजों की मौत से हड़कंप मच गया। जानकारी के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में अस्पताल में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया था। इसके बाद 19 मरीजों को अस्पताल लाया गया। यहां सभी लोगों की एंजियोग्राफी की गई। आरोप है कि अस्पताल ने सात मरीजों की एंजियोप्लास्टी कर दी। मगर इसकी जानकारी नहीं दी। अब इनमें से दो मरीजों की मौत हो गई है।
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना (पीएमजेएवाई) के दो लाभार्थियों की एंजियोप्लास्टी के बाद मौत हो गई जबकि पांच अन्य की हालत गंभीर है। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करते हुए तोड़फोड़ की।
मृतकों के स्वजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रशासन ने सभी को अंधेरे में रखा और सरकारी योजना के तहत चिकित्सा बिल बढ़ाने के लिए जल्दबाजी में एंजियोप्लास्टी की। इस बीच गुजरात सरकार ने मामले की उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया है।
बता दें कि पीएमजेएवाई के तहत जरूरतमंद लोगों को प्रति वर्ष पांच लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराया जाता है। ख्याति मल्टीस्पेशिएल्टी अस्पताल प्रशासन ने 10 नवंबर को मेहसाणा जिले के बोरीसणा गांव में निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया था। इसके बाद 19 मरीजों को यह कहकर अहमदाबाद स्थित अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया था कि उनकी एंजियोग्राफी करनी पड़ेगी।
स्टेंट लगाने के बाद हुई मौत
अस्पताल पर आरोप है कि इन सभी मरीजों की एंजियोग्राफी की गई। यहीं नहीं, इनमें से सात मरीजों को बिना बताए उनकी एंजियोप्लास्टी भी कर दी गई। नागरभाई सेनमा (59) और महेश बारोट (45) की सोमवार को एंजियोप्लास्टी के साथ-साथ स्टेंट लगाने की प्रक्रिया के तुरंत बाद मौत हो गई जबकि पांच अन्य मरीजों को गंभीर हालत के चलते आईसीयू में भर्ती कराया गया। इसके बाद मरीजों के स्वजनों ने हंगामा करते हुए वार्ड में तोड़फोड़ की।आरोप- जल्दबाजी में किया ऑपरेशन
19 मरीजों के रिश्तेदारों ने सोमवार रात अस्पताल के बाहर बनाए गए एक वीडियो में आरोप लगाया कि अस्पताल ने जल्दबाजी में ऑपरेशन किया और सिर्फ आयुष्मान भारत योजना के तहत अनुचित लाभ लेने के लिए सभी को अंधेरे में रखा। एक पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनका मोबाइल भी अस्पताल प्रबंधन ने अपने पास रख लिया और सरकारी योजना के पंजीकरण व इलाज खर्च के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी। यही नहीं, अस्पताल प्रशासन ने घटना के बाद भी एक मरीज के स्वजनों से अलग से 25 हजार रुपये वसूल लिए।
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