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ड्रग्स तस्करों का चक्रव्यूह भेद रही है शाह की रणनीति, अब पाकिस्तानी सिंडिकेट को ध्वस्त करने की तैयारी

भारत में ड्रग तस्करी पर लगाम लगाने के लिए पिछले पांच साल में जिला और राज्य से लेकर केंद्र स्तर पर मजबूत ढांचा तैयार किया गया है जिससे काफी सफलता भी मिली है। गुजरात केरल से लेकर दिल्ली और पूर्वोत्तर भारत तक में बड़ी मात्रा में ड्रग्स की बरामदगी और उससे जुड़े तस्करों की गिरफ्तारी की गई है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 17 Nov 2024 09:00 PM (IST)
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ड्रग तस्करी पर लगाम लगाने में काफी सफलता मंत्रालय को मिली है। (File Image)
नीलू रंजन, नई दिल्ली। भारत को ड्रग्स तस्करी पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रणनीति तस्करों के चक्रव्यूह को भेदने में कामयाब हो रही है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पिछले पांच साल में जिला और राज्य से लेकर केंद्र स्तर पर ड्रग्स तस्करी के खिलाफ मजबूत ढांचा तैयार करने में सफलता मिली है।

इसके साथ ही विभिन्न एजेंसियों के बीच आतंकी सूचनाओं के रियल टाइम आदान-प्रदान के लिए बनाए गए मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) की तर्ज कर नारकोटिक्स के लिए भी सेंटर तैयार किया गया है। यही कारण है कि गुजरात, केरल से लेकर दिल्ली और पूर्वोत्तर भारत तक में बड़ी मात्रा में ड्रग्स की बरामदगी और उससे जुड़े तस्करों की गिरफ्तारी में सफलता मिल रही है।

चलाया जा रहा स्पेशल ऑपरेशन 

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दो दिन पहले गुजरात तट से दूर बीच समुद्र में 700 किलोग्राम मेथ की बरामदगी इसी साल शु्रू किये गए 'ऑपरेशन सागर मंथन' का परिणाम है। इसके तहत एनसीबी के आपरेशन विंग के साथ-साथ नौ सेना, तटरक्षक बल और गुजरात एटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम अफगानिस्तान-ईरान-पाकिस्तान से अरब सागर के रास्ते होने वाले ड्रग्स तस्करी पर नजर रखती है और कार्रवाई करती है।

एक साल से कम समय में इस ऑपरेशन के तहत बीच समुद्र से 3400 किलोग्राम ड्रग्स जब्त किए गए हैं और 11 ईरानी व 14 पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया जा चुका है। अरब सागर से होने वाले ड्रग्स तस्करी का सबसे बड़ा सरगना पाकिस्तान के हाजी सलीम को माना जाता है, जो आईएसआई के संरक्षण में इसे संचालित करता है।

लश्करे तैयबा को फंडिंग के मिले सबूत

ड्रग्स तस्करी से जुड़े एक मामले की जांच के दौरान एनआईए को हाजी सलीम द्वारा लश्करे तैयबा को फंडिंग के सबूत मिले हैं। हाजी सलीम भारत के साथ श्रीलंका समेत कई देशों में ड्रग्स तस्करी का सिंडिकेट चलाता है। 2022 में कोचि के पास बीच समुद्र में पकड़ा गया 200 किलोग्राम हेरोइन हाजी सलीम का था, जिसे श्रीलंका भेजा जा था। अब भारतीय एजेंसियों की नजर हाजी सलीम के पूरे ड्रग्स साम्राज्य को ध्वस्त करने की है और इसके लिए कई देशों की ड्रग्स निरोधक एजेंसियों के साथ समन्वय बनाया जा रहा है।

वैसे तो मोदी सरकार ने ड्रग्स तस्करी से निपटने के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल के लिए 2016 में ही नारकोटिक्स कोआर्डिनेशन सेंटर (एनकोर्ड) का गठन किया था, लेकिन गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह इसे जिला से लेकर केंद्र तक चार स्तरीय ढांचा के रूप में व्यवस्थित किया। जिला स्तर पर डीएम, राज्य स्तर पर मुख्य सचिव, विशेष मामलों के लिए गृहमंत्रालय के संयुक्त सचिव (आंतरिक सुरक्षा) और सबसे ऊपर केंद्रीय गृह सचिव के मातहत एनकोर्ड का गठन किया गया और उनके बीच सूचनाओं के सुचारू आदान-प्रदान सुनिश्चित किया गया।

शुरू की गई नई हेल्पलाइन

इसके अलावा गृहमंत्री बनने के दो महीने के भीतर ड्रग्स तस्करी के बड़े मामलों की जांच की निगरानी के लिए राज्यों व केंद्र के वरिष्ठ अधिकारियों की संयुक्त समन्वय समिति का आदेश जारी किया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसी की मदद से 2021 में मुंद्रा पोर्ट पर जब्त किये गए 3000 किलोग्राम हेरोइन के मामले में एनआईए अब तक 42 लोगों को गिरफ्तार कर चार्जशीट कर चुकी है। साथ ही सभी राज्यों में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के नेतृत्व ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया गया।

ड्रग्स के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्य एजेंसी एनसीबी में 425 अतिरिक्त पद सृजित किया गया और अमृतसर, गुवाहाटी, चेन्नई और अहमदाबाद में इसकी क्षेत्रीय शाखाएं खोली गई। ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में आम आदमी को भागीदार बनाने के लिए इस साल एक नया हेल्पलाइन नंबर 1933 शुरू किया गया, जिस पर कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान गुप्त रखते हुए ड्रग्स से जुड़े किसी भी अपराध की सूचना दे सकता है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ड्रग्स तस्करी के खिलाफ देशव्यापी ढांचा तैयार करने के साथ ड्रग्स तस्करों से जुड़ा डाटा भी तैयार भी किया जा रहा है और सभी एजेंसियों को ड्रग्स तस्करी से जुड़े मामलों में इसके उपयोग करने का निर्देश दिया गया है।