कैबिनेट फैसला: निर्यात प्रोत्साहन के लिए 45,000 करोड़ का बूस्टर डोज, रोजगारपरक सेक्टर पर होगा फोकस
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 45,000 करोड़ रुपये के बूस्टर डोज की घोषणा की है। इस निर्णय का उद्देश्य निर्यात क्षेत्र में विकास को गति देना और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है। सरकार का ध्यान रोजगार सृजन वाले क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

कैबिनेट की बैठक। (पीटीआई फाइल)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वैश्विक कारोबार की अनिश्चितता के बीच भारतीय निर्यात के प्रोत्साहन के लिए सरकार ने बुधवार को 45,000 करोड़ रुपए के बूस्टर देने का ऐलान किया। इनमें 25,060 करोड़ रुपए का आवंटन एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत किया गया है तो 20,000 करोड़ रुपए निर्यातकों से जुड़ी क्रेडिट गारंटी स्कीम के विस्तार के मद में दिए गए हैं।
एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन की अवधि छह साल की होगी और इसे दो पार्ट निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा में बांटा गया है। निर्यात प्रोत्साहन के अंतर्गत 15 हजार करोड़ रुपए के तो निर्यात दिशा के तहत 10,000 करोड़ के इंसेंटिव निर्यातकों को दिए जाएंगे।
निर्यात प्रोत्साहन स्कीम का ऐलान चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश बजट में किया गया था। इस स्कीम का लाभ टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स व ज्वैलरी, इंजीनियरिंग गुड्स जैसे रोजगारपरक सेक्टर को दिया जाएगा।
अमेरिका की तरफ से भारतीय वस्तु पर 50 प्रतिशत का शुल्क लगाने के बाद अमेरिका होने वाले रोजगारपरक वस्तुओं के निर्यात में कमी आ रही है। इससे भारत का निर्यात और रोजगार दोनों प्रभावित होता दिख रहा है। दोनों ही स्कीम से निर्यात बढ़ाने में मदद करेंगी। अमेरिका की ओर से भारत के पर 50 फीसद का टैरिफ लगाने के बाद से इस बाबत विचार किया जा रहा था।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी में लिए गए फैसले के मुताबिक निर्यात प्रोत्साहन के तहत भारतीय निर्यातकों को अब सस्ती दरों पर कर्ज दिए जाएंगे।
दुनिया के अन्य देशों के निर्यातकों को लोन पर लगने वाले वाले ब्याज को ध्यान में रखते हुए भारतीय निर्यातकों के लोन की ब्याज दर तय की जाएगी। ताकि भारतीय निर्यात की लागत कम हो सके। बैंक व निर्यात एसोसिएशन के साथ बातचीत करके इस दर को तय किया जाएगा।
निर्यात दिशा के तहत वैश्विक स्तर पर वैकल्पिक बाजार की तलाश, भारतीय वस्तुओं की ब्रांडिंग व मार्केटिंग के लिए इंसेंटिव दिए जाएंगे। लॉजिस्टिक लागत कम करने के लिए भी निर्यातकों को मदद दी जाएगी।
जैसे अभी उत्तर पूर्व व पहाड़ी राज्यों के माल को पोर्ट तक पहुंचाने में काफी अधिक लागत आती है और ये वस्तुएं वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाती है। अब इन वस्तुओं को पोर्ट तक पहुंचाने में लागत कम करने के लिए इंसेंटिव दिए जाएंगे।
एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत निर्यात बढ़ाने के लिए पूरा एक इको-सिस्टम तैयार करने का प्रयास किया जाएगा। ताकि वैश्विक कारोबार में भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाया जा सके।निर्यातकों के क्रेडिट गारंटी स्कीम के विस्तार के तहत एमएसएमई निर्यातकों को कम दर पर 20 प्रतिशत अधिक कार्यशील पूंजी दी जाएंगी।
मान लीजिए निर्यातकों को उनके आर्डर के हिसाब से 100 रुपए की कार्यशील पूंजी की जरूरत है तो उन्हें 120 रुपए कार्यशील पूंजी कम दर पर बैंक देगा।
निर्यातकों की सप्लाई चेन से जुड़े विभिन्न प्रकार के उद्यमियों को भी कम दर लोन दिए जाएंगे, इससे निर्यात होने वाली वस्तु की कुल लागत में काफी कमी आएगी।
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