Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अफसरों के मनमाने नियम से गई छत्तीसगढ़ रेल हादसे में 13 की जान, वरिष्ठ अधिकारियों की गंभीर लापरवाही उजागर

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 02:20 AM (IST)

    जांच में जोन के अधिकारियों ने तर्क दिया था कि रेलवे बोर्ड के नियम के तहत मनोविज्ञानी परीक्षण में फेल लोको पायलट के साथ सहायक लोको पायलट को सहयोगी के त ...और पढ़ें

    Hero Image

    अफसरों के मनमाने नियम से गई छत्तीसगढ़ रेल हादसे में 13 की जान (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के निकट चार नवंबर 2025 को मेमू ट्रेन दुर्घटना मामले में मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने जोन के वरिष्ठ अधिकारियों की गंभीर लापरवाही को उजागर किया है।

    जांच में जोन के अधिकारियों ने तर्क दिया था कि रेलवे बोर्ड के नियम के तहत मनोविज्ञानी परीक्षण में फेल लोको पायलट के साथ सहायक लोको पायलट को सहयोगी के तौर पर लगाकर मेमू ट्रेन का परिचालन किया जा सकता है, जिसे सीआरएस ने सिरे से खारिज कर दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि रेलवे बोर्ड ने 15 अक्टूबर 2024 को स्पष्ट आदेश जारी किया था कि बिना मनोविज्ञानी परीक्षण पास किए किसी भी लोको पायलट के हाथों में मेमू के परिचालन की जिम्मेदारी देना पूरी तरह प्रतिबंधित है, बावजूद इसके जोन ने बोर्ड के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए अपना नियम लागू किया।

    इस दुर्घटना में मेमू ट्रेन ने खड़ीमालगाड़ी को जोरदार टक्कर मारी, जिससे पायलट विद्यासागर सहित 13 यात्रियों की मृत्यु हो गई। सहायक पायलट रश्मि राज ने समय पर इंजन से कूदकर अपनी जान बचाई।

    हादसे की जांच की जिम्मेदारी कोलकाता में पदस्थमुख्य संरक्षा आयुक्त बीके मिश्रा को सौंपी गई थी, जिन्होंने घटनास्थल की जांच के साथ 91 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। रिपोर्ट में बताया गया है कि टक्कर का कारण ट्रेन परिचालन के मानकों का पालन न करना था।

    उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश के वाराणसी निवासी लोको पायलट (गुड्स) विद्यासागर ने लोको पायलट (पैसेंजर) के प्रमोशनल कोर्स को उत्तीर्ण किया था, लेकिन वह मोटरमैन श्रेणी के लिए अनिवार्य मनोविज्ञानी परीक्षण में असफल रहे।

    इसके बावजूद उन्हें मेमू ट्रेन का संचालन सौंपा गया। सीआरएस ने रेलवे की इस लापरवाही का स्पष्ट उल्लेख किया है। हादसे के बाद रेलवे ने सीनियर डिविजनल आपरेशन मैनेजर (डीओपी) एम. आलम को फोर्स लीव पर भेज दिया, जिनकी जिम्मेदारी पायलटों की ड्यूटी लगाने की थी।