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'कोई भी अदालत आरोपी से गूगल मैप लोकेशन बताने को नहीं कह सकती', सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट की एक शर्त को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नाइजीरियाई व्यक्ति की जमानत पर गूगल लोकेशन साझा करने की शर्त लगाई थी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पुलिस को जमानत के दौरान गूगल लोकेशन के माध्यम से आरोपी व्यक्ति की निजी जिंदगी में झांकने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 08 Jul 2024 10:30 PM (IST)
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दिल्ली हाईकोर्ट की शर्त को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गूगल लोकेशन शेयरिंग मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की लगाई जमानत की शर्त को खारिज कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अदालतें आरोपियों के लोकेशन को ट्रैक करने के लिए उनके गूगल मैप लोकेशन को साझा करने को नहीं कह सकती हैं। साथ ही कहा कि जमानत के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं हो सकती जो पुलिस को आपराधिक मामले में आरोपियों के निजी जीवन में झांकने की अनुमति देती हो।

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हाईकोर्ट की शर्त की खारिज

जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुयन की पीठ ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्त को खारिज कर दिया। इसके तहत एक नाइजीरियाई नागरिक फ्रैंक विटस को ड्रग्स मामले में जांच अधिकारी के साथ अपने मोबाइल डिवाइस में गूगल मैप्स पिन साझा करना अनिवार्य था।

नहीं दी जा सकती निजी जिदंगी में झांकने की अनुमति

जस्टिस ओक ने फैसला में कहा कि जमानत की कोई शर्त जमानत के मूल उद्देश्य को ही खत्म नहीं कर सकती। गूगल पिन जमानत की शर्त नहीं हो सकती। जमानत की ऐसी कोई शर्त नहीं हो सकती, जिससे पुलिस लगातार आरोपी की हरकतों पर नजर रख सके। पुलिस को जमानत पर आरोपी की निजी जिंदगी में झांकने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

नाइजीरियाई नागरिक ने दाखिल की थी याचिका

अदालत ने नाइजीरियाई नागरिक फ्रैंक विटस की याचिका पर फैसला सुनाया, जिसने ड्रग्स मामले में जमानत की शर्त को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम के तहत एक मामले में आरोपी नाइजीरियाई नागरिक को जमानत दी गई थी।

निजता का हो सकता उल्लंघन

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि गूगल पिन साझा करने की शर्त संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आरोपित के निजता अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है। याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

हाईकोर्ट ने लगाई थी दो शर्तें

मई 2022 में हाईकोर्ट ने दो सख्त शर्तें रखी थीं। एक, आरोपित को गूगल मैप पर एक पिन डालना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मामले के जांच अधिकारी को उनका स्थान उपलब्ध हो। दूसरी शर्त यह थी कि नाइजीरिया के उच्चायोग को यह आश्वासन देना होगा कि आरोपित देश छोड़कर नहीं जाएगा और जब भी आवश्यकता होगी, ट्रायल कोर्ट में पेश होगा।

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