पूर्वांचल में किसानों की मेहनत पर चक्रवात का कहर, खेतों में ही फूटे धान में अंकुर
पूर्वांचल में चक्रवात से किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। मऊ समेत कई जिलों में धान की फसल गिर गई और अंकुर निकल आए। किसान फसल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नुकसान बहुत ज्यादा है। वे सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं ताकि आर्थिक संकट से उबर सकें और अगली फसल के लिए तैयारी कर सकें।

धान भीगने के बाद खेतों में ही अंकुर फूटने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, पलिगढ (मऊ)। मौसम साफ होते ही किसान खेतों में गिरे धान की फसल को सवारने में जुट गए हैं। चक्रवाती तूफान के कारण फसल को हुए नुकसान का आकलन करने वाले किसानों को अब यह स्पष्ट हो गया है कि उनकी फसल का नुकसान शत प्रतिशत हुआ है। सिर्फ मऊ ही नहीं बल्कि समूचे पूर्वांचल में यही सूरत नजर आ रही है।
रविवार सुबह से किसान खेतों में गिरे धान को उठाने, बांधने और सवारने में लगे हुए हैं, ताकि कुछ फसल को बचाया जा सके। जिन किसानों की फसल पूरी तरह से पानी में डूब गई है, वे पानी निकालने के उपाय कर रहे हैं। जहां पानी कम हुआ है और फसल पकने में कुछ दिन बाकी हैं, वहां किसान फसलों को बांधकर खड़ा कर रहे हैं।
वहीं, जिनकी फसल तैयार थी, वे पानी में गिरी हुई फसल की कटाई कर रहे हैं। अधिकांश गिरी हुई धान की फसल में अंकुर निकल आया है, जो अब किसी काम का नहीं रह गया है।
किसानों का कहना है कि चक्रवात ने उनकी कमर तोड़ दी है। घर-परिवार के लिए खाने की सामग्री भी नहीं बची है। ऐसे में बीज, खाद, दवा और जुताई का खर्च भी उनके लिए चिंता का विषय बन गया है।
पलिगढ, लोहाटिकर, तेंदुली, खानपुर, दुर्जेपुर, मखुनी, सेमरी, करपिया सहित क्षेत्र के सभी किसानों की यही स्थिति है। किसी का नुकसान कम है तो किसी का अधिक। कुछ किसान ऐसे भी हैं जिनके खेत छोटे थे, लेकिन उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई है। उन्होंने बताया कि पशुओं के लिए चारा भी नहीं बचा है।
किसानों ने यह भी बताया कि उन्हें अपने बकाया पैसे की चिंता सता रही है। चक्रवात के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। अब वे यह सोच रहे हैं कि कैसे अपने खर्चों को पूरा करेंगे।
इस स्थिति में सरकार से मदद की उम्मीद करना ही एकमात्र विकल्प रह गया है। किसान अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
किसानों की मेहनत और संघर्ष को देखते हुए यह आवश्यक है कि प्रशासन और सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, ताकि किसानों को राहत मिल सके और उनकी मेहनत का फल उन्हें मिल सके।

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