फैसलों को प्रभावित करने के लिए हो रहा सोशल मीडिया का इस्तेमाल, जजों की ट्रोलिंग पर बोले पूर्व CJI चंद्रचूड़
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि आज के समय में कई ऐसे समूह हैं जो अदालतों के मामलों और नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश सोशल मीडिया के सहारे करते हैं। लोग यूट्यूब या किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जो कुछ भी देखते हैं उसके आधार पर अपनी राय बनाते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में कानूनों की वैधता तय करने की शक्ति संवैधानिक अदालतों को सौंपी गई है।
पीटीआई, नई दिल्ली। Former CJI DY Chandrachud: भारत के पूर्व मुख्य न्याधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि विशेष हित समूहों द्वारा मामलों के नतीजों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है और न्यायाधीशों को उनसे सावधान रहने की जरूरत है।
पूर्व सीजेआई ने कहा कि आजकल लोग यूट्यूब या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखे गए 20 सेकंड के आधार पर राय बनाना चाहते हैं। इससे समाज को एक बड़ा खतरा है।
अदालतों के काम को प्रभावित करने की कोशिश
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि आज के समय में कई ऐसे समूह हैं जो अदालतों के मामलों और नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश सोशल मीडिया के सहारे करते हैं। उन्होंने कहा कि देश के हर नागरिक को समझने का अधिकार है कि अदालत द्वारा दिए गए किसी भी निर्णय का आधार क्या है। देश के हर नागरिक को अदालत के फैसले पर राय रखने का पूरा अधिकार है।उन्होंने कहा कि कई बार लोग अपनी राय व्यक्त करते हुए बहुत आगे निकल जाते हैं। अदालत के फैसलों से आगे निकल जाना और न्यायाधीशों को व्यक्तिगत निशाना बनाना पूरी तरीके से गलत है।
कुछ सेकंड में राय बनाना चाहते हैं लोग
दरअसल, एक टीवी कार्यक्रम में बोलते हुए पूर्व सीजेआई ने कहा कि हर कोई यूट्यूब या किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जो कुछ भी देखता है, उसके आधार पर अपनी राय बनाने की कोशिश करता है। यह हमारे लिए एक गंभीर खतरा है। अदालतें एक कठिन प्रक्रिया के बाद कोई भी निर्णय लती हैं। उन्होंने कहा कि अदालत के लिए कोई भी मुद्दा बड़ा या छोटा नहीं होता है। कोर्ट की सिर्फ एक कोशिश होती है कि केस का आकलन तथ्यों और कानून के आधार पर किया जाए। इसके बाद अदालत एक प्रक्रिया के तहत निर्णय तक पहुंचती हैं।