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भारत पर कैसा होगा डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों का असर? SBI की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा; ये सेक्टर हो सकते प्रभावित

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से पूरी दुनिया में हड़कंप है। यह हड़कंप उनकी संभावित आर्थिक नीतियों को लेकर है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की नीति कई देशों के सामने मुश्किलें खड़ी कर सकती है। ट्रंप के कुछ कदमों का प्रभाव भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा। मगर दीर्घकाल में इसका सकारात्मक फायदा होगा।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 11 Nov 2024 06:59 PM (IST)
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डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों से दुनिया में हड़कंप। ( सभी फोटो- रॉयटर्स)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप जनवरी 2025 में अमेरिका की सत्ता संभाल लेंगे। ट्रंप प्रशासन की संभावित आर्थिक नीतियों से दुनिया भर के बाजारों में हड़कंप मचा हुआ है और अधिकांश बड़े आर्थिक ताकत वाले देश असमंजस में है। ऐसे में सोमवार को एसबीआई की शोध इकाई की तरफ से जारी एक विस्तृत रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप की आर्थिक नीतियों से भारत भी अप्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेगा लेकिन दीर्घावधि में इन नीतियों का भारत पर सकारात्मक असर ही होगा।

नया निर्यात बाजार खोजना होगा

भारत को अपने मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का विस्तार करना होगा, नया निर्यात बाजार खोजना होगा और आत्मनिर्भर होने की तरफ से ज्यादा मजबूती से बढ़ना होगा। यही नहीं ट्रंप अगर चीन के खिलाफ कारोबारी युद्ध की शुरुआत करते हैं तो इसका फायदा भी भारत को होगा। फार्मा, टेक्सटाइल और इलोक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्र में सप्लाई चेन में जो बदलाव होगा, उसमें भारत लाभान्वित रहेगा।

पहले भी भारत के खिलाफ ट्रंप उठा चुके कदम

डोनाल्ड ट्र्ंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी भारत के खिलाफ कुछ आर्थिक कदम उठाए थे जैसे भारत को जेनेराइलज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफ्रेंरेंसेज (जीएसपी) से हटा दिया था लेकिन अंतोगत्वा भारत पर इसका कोई उल्टा असर नहीं हुआ। उल्टा जिन भारतीय उत्पादों के आयात पर अमेरिका ने ज्यादा शुल्क लगाया, उनका निर्यात लगातार बढ़ा है।

अधिक शुल्क के बावजूद बढ़ा निर्यात

वर्ष 2018 में अमेरिका ने स्टील पर 25 फीसद, अल्यूमियिनम पर 10 फीसद, वाशिंग मशीन पर 35 फीसद का उत्पाद शुल्क लगाया लेकिन वर्ष 2019 से वर्ष 2021 के बीच भारत का स्टील निर्यात 44 फीसद तक बढ़ गया। फुटवियर, मिनरल्स, रसायन, इलेक्ट्रिकल व मशीनरी निर्यात भारत से बढ़ा है जो बताता है कि भारत कई उत्पादों के मामले में चीन के मुकाबले वैश्विक सप्लाई चेन में होने वाले बदलावों का ज्यादा फायदा उटाने की स्थिति में है।

रुपये में गिरावट की बात सही नहीं

रिपोर्ट यह भी कहती है कि ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में डॉलर के मुकाबले रुपये में भारी गिरावट की बात सही नहीं है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारतीय रुपया सिर्फ 11 फीसद कमजोर हुआ है। इससे ज्यादा की गिरावट बाइडन प्रशासन के कार्यकाल में हुई है। हां, रिपोर्ट में एक नकारात्मक असर जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर हो सकता है वह विदेशी निवेश के तौर पर आ सकता है। ट्रंप लगातार अमेरिका में नये निवेश की बात करते हैं।

एफडीआई हो सकती प्रभावित

ट्रंप प्रशासन की तरफ से उठाये जाने वाले कदम से भारत में आने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रभावित हो सकता है। मगर भारत अब पूर्व की तरफ सिर्फ अमेरिकी निवेश पर आश्रित नहीं है। इसी तरह से दूसरी बड़ी चुनौती भारत की आईटी कंपनियों के लिए पैदा हो सकती है क्योंकि ट्रंप एच1बी वीजा देने की प्रक्रिया को कठोर बनाने के पक्षधर रहे हैं। उनके पहले कार्यकाल में देखा गया था कि हर वर्ष तकरीबन 10 लाख पेशेवरों को ही वीजा दिया गया था जो बाइडन प्रशासन में बढ़कर 14 लाख सालाना हो गया है।

अगर ट्रंप फिर से ऐस करते हैं कि अमेरिकी कंपनियों के लिए काम करने वाली भारतीय आईटी कंपनियों को वहां स्थानीय तौर पर ही लोगों को नौकरी पर रखना पड़ सकता है जिससे उनकी वित्तीय बोझ बढ़ेगा। लेकिन इसका सकारात्मक असर यह होगा कि इससे भारत में मैन्यूफैक्चरिंग करने पर ज्यादा जोर बढ़ेगा और अत्मनिर्भर भारत का नारा ज्यादा मजबूत होगा।

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