महाराष्ट्र के मेलघाट में कुपोषण से 65 बच्चों की मौत, हाईकोर्ट ने जताई चिंता
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मेलघाट में कुपोषण से 65 बच्चों की मौत पर चिंता जताई और राज्य सरकार की लापरवाही की आलोचना की। कोर्ट ने 2006 से इस मुद्दे पर आदेश पारित किए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में कोई सुधार नहीं हुआ है। अदालत ने संबंधित विभागों के प्रमुख सचिवों को तलब किया और डॉक्टरों को प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया।

मेलघाट में 65 बच्चों की कुपोषण से मौत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल मेलघाट में कुपोषण के कारण शिशुओं की मौतों को भयावह करार दिया है। कोर्ट ने इस मुद्दे के प्रति राज्य सरकार के लापरवाह रवैये को लेकर उसकी खिचाई की।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और संदेश पाटिल की पीठ ने कहा कि जून 2025 से अब तक मेलघाट क्षेत्र में छह माह तक के 65 बच्चों की कुपोषण के कारण जान जा चुकी है। सरकार को इसे लेकर चिंतित होना चाहिए।
मेलघाट में 65 बच्चों की कुपोषण से मौत
हाई कोर्ट अमरावती जिले के मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण के कारण बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की बड़ी संख्या में मौतों को उजागर करने वाली कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।
कोर्ट ने कहा कि वह 2006 से इस मुद्दे पर आदेश पारित कर रही है, लेकिन सरकार कागजों पर सब कुछ ठीक होने का दावा करती रही है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है। आपका रवैया बेहद लापरवाह है। जैसे हम चिंतित हैं, वैसे ही आप सभी को भी होना चाहिए।
हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई
अदालत ने सरकार से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने कहा और राज्य सरकार के जन स्वास्थ्य, जनजातीय मामले, महिला एवं बाल विकास और वित्त के प्रमुख सचिवों को 24 नवंबर को अदालत में उपस्थित रहने का आदेश दिया।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार जन स्वास्थ्य के मुद्दे को बहुत हल्के में ले रही है। साथ ही सुझाव दिया कि ऐसे जनजातीय क्षेत्रों में तैनात डाक्टरों को अधिक वेतन दिया जाना चाहिए ताकि उन्हें प्रोत्साहन मिल सके।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।