Underwater naval mine: क्या है अंडरवाटर नेवल माइन, जिससे हिंद महासागर में ताकतवर हुई इंडियन नेवी?
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच रक्षा अनुसंधान विकास संगठन और भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से विकसित मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का सफल परीक्षण किया।। इससे हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की ताकत में और इजाफा हुआ है। अंडरवाटर नेवल माइन क्या है और क्या इसकी खासियत यहां पढ़ें...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने भारत-पाकिस्तान तनातनी के बीच स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित बहुउद्देशीय मल्टी इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का सफल परीक्षण किया। इससे हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की ताकत में और इजाफा हुआ है।
यह स्वदेशी मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन पानी के भीतर एक उन्नत किस्म की नौसैन्य बारूदी सुरंग (Underwater naval mine) है, जोकि आधुनिक स्टील्थ जहाजों और पनडुब्बियों के खिलाफ भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई है। आइए बताते हैं कि अंडरवाटर नेवल माइन क्या है और क्या इसकी खासियत...
डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने इस बारे में जानकारी दी कि स्वदेशी मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) सफल परीक्षण के बाद अब भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार है।
अंडरवाटर नेवल माइन क्या होती हैं?
अंडरवाटर नेवल माइन यानी इन्हें समुद्र में बहते हुए बम कह सकते हैं। ये माइन्स समुद्र की सतह से थोड़ा नीचे होते हैं। नेवल माइन्स का इस्तेमाल युद्ध के समय किया जाता है।
इतने बड़े समुद्र में नेवल माइन्स कहां बिछाई जाती हैं?
दरअसल, जिन इलाकों में पानी कम (उथला) होता है, वहां उथले पानी की वजह से नौसेना के जहाज या भारतीय तटरक्षक बल की गश्त कम होती है। ऐसे में उथले पानी वाले एरिया में दुश्मन की छोटी बोट के आने का खतरा मंडराता रहता है।
समुद्र में इन जगहों पर अंडरवाटर नेवल माइन बिछाई (Deploy) जाती हैं। दुश्मन की बोट जैसे ही इस समुद्री इलाके में आएगी, वैसे ही नेवल माइन्स के संपर्क में आने पर बम की तरह ब्लास्ट हो जाती है।
नेवल माइन कितने तरह की होती हैं?
भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा करने वाली ये अंडरवाटर नेवल माइन तीन तरह की होती हैं।
- कॉन्टेक्ट माइन: अगर कोई भी ऑब्जेक्ट पानी में इनके साथ कॉन्टैक्ट में आता है तो इसमें ब्लास्ट हो जाता है।
- एक्यूस्टिक माइन: इस तरह की माइन में एक निश्चित डेसिबल साउंड सेट कर दिया जाता है। सेट साउंट से अधिक साउंड के संपर्क में आने पर इस माइन में ब्लास्ट हो जाता है। दुश्मन देश की बोट पर कोई मशीनरी चल रही है और उस साउंड को यह माइन पकड़ लेती है। इसके बाद जैसे ही बोट संपर्क में आती है यह फट जाती है।
- प्रेशर माइन: इस तरह की माइन में जब बड़े जहाज गुजरते हैं, तब उनके भार के कारण प्रेशर में डिफरेंस आता है। ये माइन उस प्रेशर को सेंस करने पर ब्लास्ट होती हैं।
MIGM पुरानी माइन्स से कैसे अलग है?
स्वदेशी मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन तकनीकी रूप से खासा उन्नत है, लेकिन अब सवाल आता है कि यह पुरानी नेवल माइन्स से कितनी अलग है? मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन पुरानी माइन्स से इसलिए अलग है, क्योंकि इसमें सारे सेंसर एक ही माइन में हैं, जोकि टेक्नोलॉजी के आधार पर खासा एडवांस है।
जहां पहले नौसेना को अपने समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तीन अलग-अलग अंडरग्राउंड वॉटर माइन्स बिछानी पड़ती थीं। अब उन तीनों माइन्स का काम यह एक माइन करने में सक्षम है। इस माइन की सबसे खास बात यह है कि यह एयरप्लेन, शिप या सबमरीन से डिप्लॉट की जा सकती है।
MIGM का इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पानी के नीचे सिग्नल रिकॉर्ड करता है। फिर डेटा प्रोसेसर तय करता है कि कब और क्या एक्शन लेना है।
- MIGM माइन आधुनिक स्टील्थ जहाजों और पनडुब्बियों का भी ब्लास्ट करने के लिए डिजाइन की गई है।
- यह मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन एयरप्लेन, शिप या फिर सबमरीन से डिप्लॉय की जा सकती है।
- यह समुद्री जहाजों से उत्पन्न ध्वनि, चुंबकीय और दबाव संकेतों को पहचान कर एक्शन लेने में सक्षम है।
- MIGM का इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पानी के नीचे सिग्नल रिकॉर्ड करता है। फिर डेटा प्रोसेसर तय करता है कि कब और क्या एक्शन लेना है।
किसने बनाया है MIGM को?
मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन को विशाखापत्तनम स्थित नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेबोरेटरी (एनएसटीएल) ने डीआरडीओ लैब- हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी पुणे और टर्मिनल बैलेस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी चंडीगढ़ के सहयोग से विकसित किया गया है।
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