नई दिल्ली। अनुराग मिश्रा/ विवेक तिवारी ।  सोना सबसे कीमती धातु है और हो भी क्यों न। वक्त बदला, तकनीक बदली और दुनिया के देखने का नजरिया भी लेकिन सोने की आवश्यकता और कीमतें समय के साथ-साथ बढ़ती रही। इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि सोने के साथ काम करना बहुत आसान है, इसलिए यह समय के साथ कई तरह के उत्पादों का केंद्र रहा है। चीनियों ने 2,500 ईसा पूर्व से चेचक और त्वचा के अल्सर के इलाज में सोने का इस्तेमाल किया है, और भारत में आयुर्वेदिक चिकित्सा में सोने का उपयोग संभवतः इसी तरह लंबे समय से हो रहा है। आज, गठिया जैसी सूजन संबंधी स्थितियों के इलाज के लिए इंजेक्शन में सोने के यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही हृदय शल्य चिकित्सा में स्टेंट सहित प्रत्यारोपण के लिए भी। मौजूदा समय में जिस तकनीक ने दुनिया में हल्ला मचा रखा है वह है आर्टफिशियल इंटेलीजेंस। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक दुनिया में कई बड़े बदलाव लेकर आएगी। एआई तकनीक के प्रसार में सोने की भी अहम भूमिका रहेगी। एआई और तेज गणना करने वाले उत्पादों में बेहद उच्च गुणवत्ता वाले प्रोसेसर का इस्तेमाल होता है। इन प्रोससरों में बिजली के प्रवाह के लिए सोने का इस्तेमाल किया जाता है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक एआई और बेहद तेज गणना करने वाले एप्लीकेशन्स की मांग के चलते साल के दूसरे क्वाटर में उत्पादों को बनाने के लिए इंडस्ट्री में सोने की मांग भी बढ़ी है। औद्योगिक अनुप्रयोगों में इस्तेमाल होने वाले सोने में तिमाही के दौरान 11% की वृद्धि हुई वहीं अगर हम इलेक्टॉनिक्स इंडस्ट्री की बात करें तो यहां मांग में 14 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक दंत चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले सोने की मांग में 5 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में एआई बूम के कारण प्रौद्योगिकी में सोने की मांग में साल-दर-साल 10% की वृद्धि हुई है। मांग को ध्यान में रखते हुए आपूर्ति भी बढ़ी, खदान उत्पादन में साल-दर-साल 4% की वृद्धि हुई और यह 893 टन हो गया - जो पहली तिमाही में रिकॉर्ड है। सोने की रीसाइक्लिंग भी Q3 2020 के बाद से उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जो साल-दर-साल 12% बढ़कर 351 टन हो गई, क्योंकि कुछ निवेशकों ने सोने की तेजी से बढ़ती कीमतों को एक मौके के तौर पर देखा।

दरअसल सोना अच्छे सुचालक के तौर पर काम करता है। इसके लिए इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में किया जाता है। IIT खड़गपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अमित कुमार दत्ता कहते हैं कि सोना बेहतरीन सुचालक है। इसमें चांदी और कॉपर की तुलना में रजिस्टेंस बेहद कम होता है। इसी के चलते तेज कंप्यूटिंग करने वाले प्रोसेसर या एआई उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले प्रोसेसर को बनाने में सोने का इस्तेमाल किया जाता है। पूरी दुनिया में आए एआई बूम के चलते दुनिया भर में अच्छे और उच्च क्षमता वाले प्रोसेसर की मांग बढ़ी है। ऐसे में इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के लिए भी सोने की मांग बढ़ी है। बहुत सी ई वेस्ट मैनेजमेंट कंपनियां इलेक्ट्रानिक कचरे से सोना निकालने का काम भी कर रही हैं।

प्लेटफॉर्म फॉर एक्सेलरेटिंग द सर्कुलर इकोनॉमी (PACE) और संयुक्त राष्ट्र ई-वेस्ट गठबंधन की आज दावोस में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य और प्रदूषण के प्रभावों के अलावा, ई-कचरे के अनुचित प्रबंधन के कारण दुर्लभ और मूल्यवान कच्चे माल, जैसे सोना, प्लैटिनम, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का महत्वपूर्ण नुकसान हो रहा है। वर्तमान में दुनिया के सोने का 7% ई-कचरे में समाहित हो सकता है, एक टन ई-कचरे में एक टन सोने के अयस्क की तुलना में 100 गुना अधिक सोना होता है।

विश्व स्वर्ण परिषद की Q1 2024 स्वर्ण मांग रुझान रिपोर्ट से पता चलता है कि कुल वैश्विक स्वर्ण मांग (ओवर टू काउंटर खरीद सहित) साल-दर-साल 3% बढ़कर 1,238 टन हो गई, जो 2016 के बाद से सबसे मजबूत पहली तिमाही है। 2023 की इसी अवधि की तुलना में Q1 में ओटीसी को छोड़कर मांग 5% गिरकर 1,102 टन हो गई।

विश्व स्वर्ण परिषद में वरिष्ठ बाजार विश्लेषक लुईस स्ट्रीट के मुताबिक "मार्च के बाद से, मजबूत अमेरिकी डॉलर और ब्याज दरों के प्रतिकूल प्रभावों के बावजूद, सोने की कीमत सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। "हालिया उछाल के पीछे कई कारक हैं, जिनमें भू-राजनीतिक जोखिम में वृद्धि और चल रही व्यापक आर्थिक अनिश्चितता शामिल है, जो सोने की सुरक्षित मांग को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा, केंद्रीय बैंकों की निरंतर और दृढ़ मांग, मजबूत ओटीसी निवेश और डेरिवेटिव बाजार में बढ़ी हुई शुद्ध खरीद, सभी ने सोने की उच्च कीमत में योगदान दिया है।

निवेशकों के व्यवहार में बदलाव देखा गया

"दिलचस्प बात यह है कि हम पूर्वी और पश्चिमी निवेशकों के व्यवहार में बदलाव देख रहे हैं। आम तौर पर, पूर्वी बाजारों में निवेशक कीमत के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, वे खरीदने के लिए गिरावट का इंतजार करते हैं, जबकि पश्चिमी निवेशक ऐतिहासिक रूप से बढ़ती कीमत की ओर आकर्षित होते हैं, और तेजी में खरीदारी करते हैं। पहली तिमाही में, हमने देखा कि चीन और भारत जैसे बाजारों में निवेश की मांग में काफी वृद्धि हुई है, क्योंकि सोने की कीमत में उछाल आया है।

सोने में आगे भी मिलेंगे अच्छे रिटर्न

2024 में सोने में निवेश करने वालों को अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना है, जो कि इसके हालिया प्रदर्शन के आधार पर, वर्ष की शुरुआत में हमारे द्वारा लगाए गए अनुमान से कहीं ज़्यादा है। अगर आने वाले महीनों में कीमत स्थिर हो जाती है, तो कुछ कीमत-संवेदनशील खरीदार फिर से बाज़ार में प्रवेश कर सकते हैं और निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए सोने की ओर देखना जारी रखेंगे क्योंकि वे ब्याज दरों में कटौती और चुनाव परिणामों के बारे में स्पष्टता चाहते हैं।"

आगे भी बढ़ेगी सोने की चमक

पिछले कुछ सप्ताह में सोने और चांदी की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। इसके पीछे प्रमुख कारण खाड़ी युद्ध के चलते पैदा हुई अस्थिरता को माना जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले समय में भी सोने के दामों में तेजी का रुख रह सकता है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की रिपोर्ट के मुताबिकि अगले 12 से 15 महीनों में MCX पर चांदी का भाव सवा लाख रुपये प्रति किलोग्राम और रुपये प्रति किलोग्राम और कॉमेक्स पर 40 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक सालाना आधार पर चांदी ने 40% से ज्यादा रिटर्न दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक बाजार की अनिश्चितताओं, बढ़ती डिमांड , ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों, और रुपये में गिरावट के चलते 2024 में सोने-चांदी की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। बीते 5 साल की बात करें तो दिवाली 2019 से अब तक सोने ने निवेशकों को 103 फीसदी का रिटर्न दिया है।

सोने ने अब तक दिया शानदार रिटर्न

सोने ने लम्बे समय के लिए निवेश करने वालों को हमेशा शानदार रिटर्न दिया है। 1950 में 10 ग्राम सोने की कीमत 99 रुपये थी जोकि 1960 में 112 रुपये हो गई। इन दस सालों में सोने की कीमत में लगभग 13 फीसदी का छाल देखा गया। 1960 से 1970 के बीच सोने की कीमतें 112 रुपये से बढ़कर 184.50 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई हैं। इस दौर में सोने की कीमत में 65 फीसदी का उछाल आया। 1970 से 1980 के बीच सोने पर मिले रिटर्न के लिहाज से देखें तो यह 10 बहुत ही शानदार रहा है। इन दस सालों में सोने की कीमतें 184.50 रुपये से बढ़कर 1,330 रुपये प्रति दस ग्राम हो गई थी। इस दौरान सोने ने करीब 620 फीसदी रिटर्न दिया। 1980 से 1990 तक सोने पर 140 फीसदी रिटर्न मिला। सोने की कीमतें इस बीच 1330 रुपये से बढ़कर 3200 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गई। 1990 से 2000 तक सोने ने करीब 37.50 फीसदी रिटर्न दिया। 1996 में सोने की कीमतें 5,160 रुपये तक पहुंच गई थी। लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट देखने को मिली। दशक समाप्त होते-होते सोने की कीमतें 4,045 रुपये प्रति दस ग्राम था। 2000 से 2010 तक सोने ने काफी अच्छा रिटर्न दिया। इस दौरान सोने की कीमतें 4400 रुपये से बढ़कर 18,500 रुपये तक पहुंच गया था। यानी करीब 320 प्रतिशत रिटर्न मिला। 2010 से 2020 तक सोने की कीमतों में औसतन 162 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। इस दौरान सोना 48651 प्रति दस ग्राम पहुंच गया था। पिछले साल धनतेरस 10 नवंबर को था, तब सोने की कीमत 61,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास थी। अब कीमत बढ़कर 80,000 रुपये से ज्‍यादा हो गई है। इसी साल सोने की कीमत में 31 प्रतिशत से ज्‍यादा का उछाल देखा गया है।

अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी है सोना

NASA के मुताबिक कई सारी सेटेलाइट के बाहरी हिस्से में सोने की परत लगाई जाती है। ये परत ही सेटेलाइट को सूरज की गर्मी से बचाती है। सोना सूरज की ज्यादातर किरणों को परावर्तित कर देता है। वहीं अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रोनॉट के हेलमेट के वाइजर में भी सोने की परत का इस्तेमाल होता है जो उन्हें सूरज के खतरनाक रेडिएशन से बचाता है। वहीं, सेटेलाइट के कई पुर्जों में भी विद्धुत बेहतर सुचालक के तौर पर सोने का इस्तेमाल होता है। इलेक्ट्रोकेमिकली तौर पर डिपॉजिट कर तैयार किया गया लेजर गोल्ड इंफ्रारेड वेज को लगभग 99.4 फीसदी तक पूरी तरह से परावर्तित कर देता है।

मेडिकल साइंस के लिए सोना है वरदान

दुनिया की कई सभ्यताओं में सोने का इस्तेमाल इलाज के लिए किया जाता रहा है। चीन में पारंपरिक तौर पर सोने का इस्तेमाल दिल्ली की धड़कन बढ़ने पर, दौरे, और त्वचा संक्रमण के लिए किया जाता रहा है। वहीं हमारे आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म का इस्तेमाल फेफड़े, दिल और पाचन संबंधी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। यह दिल को मजबूती देने का काम करता है। सिर्फ यही नहीं, स्वर्ण भस्म हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। दिलचस्प बात यह है कि दातों के इलाज में सोने का इस्तेमाल 700 ईसा पूर्व से किया जाता रहा है क्योंकि इसके मानव शरीर के संपर्क में आने से एलर्जी नहीं होती है। आज के आधुनिक युग में गई दवाओं को बनाने में सोने का इस्तेमाल हो रहा है।