तहव्वुर राणा पर दोष सिद्ध करने को NIA ने तेज की तैयारी, अमेरिका से प्रत्यर्पित हो सकता है मुंबई हमले का आरोपित
मुंबई हमले के संबंध में राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने की अर्जी पर अमेरिकी न्यायालय ने सुनवाई का फैसला किया है। इस अर्जी का निस्तारण 20 मई को होने की संभावना है। पाकिस्तानी मूल के कनाडा के नागरिक राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।
By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 24 Apr 2023 11:54 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के गुनहगार तहव्वुर राणा के भारत को प्रत्यर्पण की बढ़ती संभावना के बीच एनआइए ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने राणा से पूछे जाने वाले प्रश्नों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी है और उन ठोस साक्ष्यों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है जिनके आधार पर वह न्यायालय में आरोपित को घेर सके।
राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है
मुंबई हमले के संबंध में राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने की अर्जी पर अमेरिकी न्यायालय ने सुनवाई का फैसला किया है। इस अर्जी का निस्तारण 20 मई को होने की संभावना है। अमेरिकी न्यायालय के रुख से संकेत मिला है कि पाकिस्तानी मूल के कनाडा के नागरिक राणा (62) को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। अमेरिकी न्यायालय में भारत की ओर से अमेरिका की सरकार पैरवी कर रही है।
भारत में आतंकी मामलों की जांच करने वाली एनआइए को मुंबई हमले में राणा की भूमिका की पुष्टि करनी है। पुष्ट करना है कि उसने अपने मित्र पाकिस्तानी मूल के डेविड कोलमन हेडली की किस हद तक मदद की। अमेरिकी एजेंसियों की जांच में यह बात साबित हो चुकी है राणा को हेडली के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से रिश्तों की जानकारी थी। यह भी पता लगा है कि राणा आतंकी गतिविधियों के संबंध में हेडली को सलाह देता था।
हमले देश-विदेश के 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे
विदित हो कि मुंबई हमले से पहले हेडली ने कई दिन तक मुंबई में रहकर वहां के कई स्थानों की रेकी की थी और उसकी रिपोर्ट लश्कर-ए-तैयबा को दी थी। उसी की रिपोर्ट के आधार पर मुंबई में आतंकी हमले की रूपरेखा तैयार कर उसे अंजाम दिया गया।
इस हमले देश-विदेश के 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे जिनमें कई अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। इससे पहले राणा ने प्रत्यर्पण के संबंध में कानूनी बिंदुओं पर चर्चा के लिए लास एंजिलिस डिस्टि्रक्ट कोर्ट से समय मांगा था लेकिन कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर सुनवाई को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था। साथ ही प्रत्यर्पण संबंधी याचिका का निस्तारण 30 दिन के भीतर करने की घोषणा की थी।