Ratan Tata: भारत के आर्थिक विकास में पारसियों ने निभाई अहम भूमिका, पढ़ें टाटा का पूरा सफर
रतन टाटा के निधन से भारतीय उद्योग जगत में पारसी समुदाय के अद्वितीय और महत्वपूर्ण योगदान की बहुत सारे लोगों को जानकारी मिल रही है। पारसी उद्यमियों जैसे टाटागोदरेजवाडियामिस्त्री वगैरह ने आधी दुनिया को अपने यहां आगे बढ़ने के भरपूर अवसर दिए।इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति बताती हैं कि वह 1974 में टाटा मोटर्स में इंजीनियर थीं और उनका टाटा समूह के चेयरमेन जेआरडी टाटा से संपर्क रहता था।
विवेक शुक्ला, नई दिल्ली। रतन टाटा के निधन से भारतीय उद्योग जगत में पारसी समुदाय के अद्वितीय और महत्वपूर्ण योगदान की बहुत सारे लोगों को जानकारी मिल रही है। पर अब भी यह बताने की भी जरूरत है कि पारसी उद्यमियों जैसे टाटा,गोदरेज,वाडिया,मिस्त्री वगैरह ने आधी दुनिया को अपने यहां आगे बढ़ने के भरपूर अवसर दिए। इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति बताती हैं कि वह 1974 में टाटा मोटर्स में इंजीनियर थीं और उनका टाटा समूह के चेयरमेन जेआरडी टाटा से संपर्क रहता था।
बताइये आधी सदी पहले कितनी महिला इंजीनियर देश की निजी कंपनियों में काम कर रही थीं। एक बात और। पारसी औद्योगिक घरानों में संपत्ति विवाद की खबरों का ना होना भी हैरान करता है। यह उनकी सफलता की एक अहम वजह माना जाता है, जो उन्हें अन्य समुदायों से अलग करता है।
लक्ष्य मुनाफा कमाना ही नहीं
दरअसल पारसी बीती कई सदियों से, अपनी दूर दृष्टि, मेहनत और नवाचार के साथ भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। इन्होंने भारत के औद्योगिक इतिहास में अपनी अलग पहचान बनाई है। इनके कारोबार का एक मात्र लक्ष्य अधिक से अधिक मुनाफा कमाना कभी नहीं रहा। ये लाभ कमाने और फिर उस लाभ के बड़े अंश को लोक कल्याण के कामों में खर्च करने में यकीन करते रहे। पहले बात टाटा समूह से शुरू कर लेते हैं।टाटा समूह के विभिन्न कार्य
- भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक समूह टाटा 1868 में जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित हुआ था
- शुरुआती सालों में कपड़े, होटल और लोहे के कारखाने में दिया योगदान
- आज आईटी, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपना प्रभाव स्थापित कर चुका है।
- टाटा समूह का योगदान सिर्फ उद्योगों तक ही सीमित नहीं है।
- बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, अनुसंधान और विकास जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण है।
रतन टाटा की सौतेली मां ने लैक्मी को बढ़ाया
टाटा समूह में रतन टाटा की सौतेली मां सिमोन टाटा को सौंदर्य प्रसाधन की कंपनी लैक्मे का विस्तार करने का मौका मिला उन्होंने लैक्मे में सैकड़ों औरतों को नौकरी देकर स्वावलंबी बनाया। ये लगभग साठ साल पुरानी बातें हैं। राजधानी के खालसा कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे नोवी कपाड़िया कहते थे कि पारसी समुदाय में औरतों को हमेशा जीवन के सभी क्षेत्रों में बराबरी मिलती है। वे लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करते।
ताले से लेकर रेफ्रिजरेटर बनाए
टाटा समूह की स्थापना के लगभग दो दशक बाद 1897 में स्थापित गोदरेज समूह के संस्थापक विरजी गोदरेज थे। गोदरेज समूह, अत्याधुनिक तकनीक के साथ उपभोक्ता वस्तुओं, फर्नीचर और अचल संपत्ति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एक प्रमुख नाम है। गोदरेज ने अपने यहां आधी दुनिया को शिखर पर जगह देने में कभी कसर नहीं छोड़ी। नायरिका होल्कर 12,000 करोड़ रुपये की कंपनी गोदरेज एंड बायस की मैनेजिंग डायरेक्टर बनीं।