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राजनीतिक अखाड़ा बनी संसदीय समिति, बैठक में नहीं आयीं सेबी प्रमुख तो मची रार; सत्तापक्ष और विपक्षी सांसद भिड़े

लोक लेखा समिति की बैठक में बुच के आने से मना करने के बाद पीएसी अध्यक्ष व कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने बैठक स्थगित कर दी जिसका समिति में शामिल भाजपा सदस्यों ने कड़ा विरोध किया। पीएसी अध्यक्ष पर एकतरफा निर्णय लेने का आरोप लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनकी शिकायत की। माधवी बुच पर लगाए गए निजी आरोपों पर सियासत गरमाई हुई है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 25 Oct 2024 05:25 AM (IST)
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बुच को बुलाए जाने का भाजपा-एनडीए ने किया विरोध, विपक्षी सांसद वेणुगोपाल के साथ
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसदीय समिति भी राजनीतिक अखाड़ा बनने लगी है। तीन दिन पहले वक्फ पर गठित जेपीसी में सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्य आमने सामने दिखे थे। अब लोक लेखा समिति में वह दृश्य नजर आने लगा है। गुरुवार को सेबी प्रमुख माधवी बुच ने निजी कारणों का हवाला देकर बैठक में आने से इंकार कर दिया।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनकी शिकायत की

बुच के आने से मना करने के बाद पीएसी अध्यक्ष व कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने बैठक स्थगित कर दी जिसका समिति में शामिल भाजपा सदस्यों ने कड़ा विरोध किया। पीएसी अध्यक्ष पर एकतरफा निर्णय लेने का आरोप लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनकी शिकायत की। वहीं समिति में शामिल विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के सांसद वेणुगोपाल के साथ रहे।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में माधवी बुच पर लगाए गए निजी आरोपों पर गरमाई सियासत के बीच पूंजी बाजार नियामक सेबी प्रमुख को लोक लेखा समिति ने पूछताछ के लिए बुलाया था। बुच भले बैठक में नहीं आयीं मगर लोक-लेखा समिति दलीय आधार पर साफ-साफ विभाजित दिखी। पीएसी की बैठक शुरू होने से महज डेढ़ घंटे पहले बुच ने नहीं आने का संदेश भेजा।

बुच को पीएसी में बुलाने पर राजनीतिक तकरार शुरू से चल रही है

पीएसी की सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक को चंद मिनटों में स्थगित कर बाहर आए वेणुगोपाल ने पत्रकारों से कहा कि सुबह 9.30 बजे बुच की ओर से बताया गया कि वे और उनकी टीम आवश्यक निजी वजहों से समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हो सकेंगी। पीएसी प्रमुख ने कहा कि पेशी की छूट देने के अनुरोध को अस्वीकार किए जाने के बाद बुच ने बैठक में आने की की पुष्टि की थी। फिर भी महिला होने के नाते उनके अनुरोध पर विचार करते हुए हमने आज की बैठक को किसी दूसरे दिन के लिए स्थगित करना बेहतर समझा है। वैसे बुच को पीएसी में बुलाने पर राजनीतिक तकरार शुरू से चल रही है।

सत्ताधारी भाजपा की ओर से पीएसी में शामिल सांसद निशिकांत दूबे ने वेणुगोपाल के फैसले पर पहले ही सवाल उठाते हुए स्पीकर को भी पत्र लिखकर बुच को बुलाए जाने के फैसले को रोकने की मांग की थी। इसलिए गुरूवार को जब पीएसी की बैठक शुरू हुई तो सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच प्रक्रिया तथा दायरे जैसे मुद्दों को लेकर तीखी नोंक-झोंक शुरू हुई।

रविशंकर प्रसाद ने साधा निशाना

भाजपा के वरिष्ठ सांसद रविशंकर प्रसाद ने बैठक स्थगित किए जाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में पीएसी अध्यक्ष पर ''स्वप्रेरणा'' से कार्य करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बुच और संसद के अधिनियमों द्वारा स्थापित कुछ अन्य नियामक निकायों को बुलाने का उनका निर्णय पक्षपातपूर्ण राजनीति से प्रेरित था। पीएसी का काम कैग की रिपोर्ट पर विचार करना है और उन्हें विश्वसनीय जानकारी है कि कैग ने सेबी के कामकाज की कोई रिपोर्ट नहीं दी है।

रविशंकर ने वेणुगोपाल के व्यवहार को असंसदीय करार देते हुए आरोप लगाया कि उनलोगों को बोलने का मौका नहीं दिया गया और बैठक स्थगित कर वे चले गए। जबकि गुरुवार की बैठक में एनडीए गठबंधन के सांसद बहुमत में थे और हमारी मुख्य आपत्ति यह थी कि वेणुगोपाल ने परामर्श किए बिना विषयों का स्वप्रेरणा से चयन कैसे किया। उन्होंने पीएसी सचिवालय के अधिकारियों के बैठक स्थल से चले जाने पर भी आपत्ति जताई और उसके बाद स्पीकर से मुलाकात कर वेणुगोपाल के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।