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प्रमुख वैश्विक संबंधों में भारत और रूस का रिश्ता सबसे स्थिर है- विदेश मंत्री एस.जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए भारत और रूस के संबंध को वैश्विक संबंधों में से सबसे स्थिर संबंध बताया है। उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने और व्यापार असंतुलन के मुद्दे को दूर करने की बात कही।

By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariUpdated: Mon, 17 Apr 2023 05:56 PM (IST)
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रूस और भारत के संबंध पर बोले एस जयशंकर

नई दिल्ली, पीटीआई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को भारत-रूस संबंध को प्रमुख वैश्विक संबंधों में सबसे स्थिर संबंध बताया। इसके साथ ही, उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने और व्यापार असंतुलन के मुद्दे को दूर करने की बात कही।

व्यापार से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर करना

रूसी उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव की उपस्थिति में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि रूस के संसाधन और प्रौद्योगिकी भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इसी समय, जयशंकर ने भारत और रूस के बीच आर्थिक पहलु को असंतुलित व्यापार के मुद्दे पर तत्काल रूप से बातचीत करने को कहा। असंतुलित व्यापार का मतलब है कि बाजार, गैर-टैरिफ और भुगतान या रसद से जुड़ी बाधाओं को दूर करना।

दूसरे साथी के दृष्टिकोण से चीजों को देखने की क्षमता जरूरी

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद भी भारत और रूस के बीच व्यापार संबंध बढ़ रहे हैं। जयशंकर ने कहा, "मुझे लगता है कि हमें व्यापार में छोटी और मध्यम अवधि की चुनौतियों के बारे में भी ईमानदार होना चाहिए।" उन्होंने कहा, "हमें आर्थिक सहयोग के भविष्य के लिए दूसरे साथी के दृष्टिकोण से देखने की इच्छा और क्षमता की आवश्यकता है। साथ ही, इसके समाधान के साथ सामने आना चाहिए, जो इन बाधाओं को दूर करे सके।"

सभी क्षेत्रों में ढूंढ़ सकते हैं समाधान

जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों ने पिछले साल उर्वरक व्यापार में अधिक पारस्परिक रूप से काफी बेहतर तरीके से रास्ते खोजे। जयशंकर ने कहा, "अगर हम उर्वरक जैसे क्षेत्र को देख सकते हैं, तो सहयोग और पारस्परिकता की समान भावना को अन्य क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है और समाधान ढूंढ़ा जा सकता है।"

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत-रूस संबंध प्रमुख वैश्विक संबंधों में सबसे स्थिर है। भारत-रूस व्यापार में भाग लेने वालों ने अंतर-सरकारी आयोग (आईजीसी) सहित दो-तरफा आर्थिक सहयोग को और बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।

उप प्रधानमंत्री ने आईजीसी को बताया महत्वपूर्ण

उप प्रधानमंत्री मंटुरोव ने कहा, "आईजीसी दोनों देशों के विशेष विभागों और संगठनों की भागीदारी के साथ रूसी-भारतीय एजेंडे पर सामयिक मुद्दों की व्यापक चर्चा के लिए एक अनूठा तंत्र है।" उन्होंने कहा, "हम न केवल व्यापार और आर्थिक संबंधों के बारे में बात कर रहे हैं, बल्कि बातचीत के मानवीय क्षेत्रों जैसे शिक्षा और संस्कृति के बारे में भी बात कर रहे हैं।"