'महिलाएं सबसे बड़ी अल्पसंख्यक...', Women's Reservation Law पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने महिला आरक्षण पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कांग्रेस नेता जया ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नागरत्ना ने महिलाओं को सबसे बड़ा अल्पसंख्यक बताया। याचिका में परिसीमन से पहले आरक्षण लागू करने की मांग की गई है। अदालत ने कहा कि कानून का प्रवर्तन कार्यपालिका पर निर्भर है।

याचिका में महिला आरक्षण अधिनियम 2024 को लागू करने की मांग (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाले नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 को तत्काल लागू करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। शीर्ष अदालत ने मामले पर सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी में कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना कहती है कि सभी नागरिकों को राजनीतिक और सामाजिक समानता का अधिकार है।
अदालत ने कहा कि इस देश में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक कौन है? यह महिलाएं हैं.. लगभग 48 प्रतिशत। यह महिलाओं की राजनीतिक समानता के बारे में है। हालांकि कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए यह भी कहा कि ऐसे नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप करने की कोर्ट की अपनी सीमाएं हैं।उपरोक्त टिप्पणियों के साथ जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस नेता जया ठाकुर की याचिका पर नोटिस जारी किया।
जया ठाकुर ने याचिका में मांग की है कि नए परिसीमन की प्रक्रिया का इंतजार किए बगैर महिला आरक्षण अधिनियम को लागू किया जाए। इससे पहले जया ठाकुर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शोभा गुप्ता ने याचिका पर बहस करते हुए कहा कि ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत की आजादी के 75 वर्ष बाद, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए अदालत आना पड़ रहा है।
शोभा गुप्ता ने कहा कि उन्हें कुल सीटों का एक तिहाई ही आरक्षित करना है। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला महिला आरक्षण अधिनियम (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) लोकसभा से 20 सितंबर, 2023 और राज्यसभा से 21 सितंबर को पारित हुआ था। बाद में इसे 28 सितंबर, 2023 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई थी।

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