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    दुष्कर्म और हत्या मामले में आरोपी की सजा को SC ने किया रद्द, 2010 में किया था नाबालिग का यौन उत्पीड़न

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sat, 20 May 2023 04:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में व्यक्ति को दी गई मौत की सजा को रद्द कर दिया है।आरोपी ने साल 2010 में नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने के बाद उसे मार डाला था और सबूत नष्ट करने के लिए शव को नाले में फेंक दिया था।

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    दुष्कर्म और हत्या मामले में आरोपी की सजा को SC ने किया रद्द

    नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में छह साल की बच्ची के कथित दुष्कर्म और हत्या के लिए एक व्यक्ति को दी गई मौत की सजा को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जांच के दौरान काफी बहुआयामी चूक हुई है। न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के अक्टूबर 2015 के फैसले के खिलाफ अभियुक्त द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया है। बता दें कि निचली अदालत ने आरोपी को दुष्कर्म के मामले में मौत की सजा सुनाई थी।

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    तुरंत रिहा करने के दिए आदेश

    दोषी ठहराने के फैसले को रद्द करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर किसी अन्य मामले में यह आरोपी शामिल नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए। जस्टिस विक्रम नाथ और संजय करोल की बेंच ने कहा कि यह सच है कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी कि एक छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ और उसकी हत्या कर दी गई। पीड़िता के माता-पिता को काफी कुछ सहना पड़ा है।

    बेंच ने 19 मई को सुनवाई में कहा कि इतना दर्दनाक केस होने के बावजूद हम कानून के दायरे में नहीं रह सकते। अभियोजन पक्ष को अपीलकर्ता के अपराध और अपराध में किसी और के दोष को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सभी आवश्यक प्रयासों से गुजरना पड़ा।

    ठोस सबूत रहे अनुपस्थित

    कोर्ट ने कहा कि आरोपी का दोष वैज्ञानिक विश्लेषण के माध्यम से किया गया था। डीएनए विश्लेषण रिपोर्ट ही इस मामले की आधारशिला है। पीठ ने कहा कि भले ही एक रिपोर्ट के माध्यम से डीएनए साक्ष्य मौजूद थे, इसकी विश्वसनीयता अचूक नहीं है। विशेष रूप से इस तरह के सबूतों की असम्बद्ध प्रकृति स्थापित नहीं की जा सकती है और अन्य ठोस सबूत जो हो सकते हैं उपरोक्त हमारी चर्चा से देखा गया है, लगभग पूरी तरह से अनुपस्थित है।

    बार-बार बदले गए जांच अधिकारी

    पीठ ने कहा कि जांच अधिकारियों को बार-बार बदलने के कारण आश्चर्यजनक और अस्पष्ट हैं। विश्लेषण के लिए एकत्र किए गए नमूनों को भेजने में अस्पष्ट देरी हुई थी। इस अदालत का न केवल कानूनी बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है कि इस तरह के कृत्यों को करने वालों को कानून के दायरे में लाने के लिए सभी संभव कदम उठाए जाएं। 

    2010 में आरोपी ने किया था दुष्कर्म

    बता दें कि आरोपी ने वर्ष 2010 में नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न करने के बाद उसे मार डाला था और सबूत नष्ट करने के लिए शव को नाले में फेंक दिया था। महाराष्ट्र के ठाणे में जून 2010 में एक प्राथमिकी दर्ज की गई और नवंबर 2014 में निचली अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया था और हत्या के अपराध के लिए मृत्युदंड दिया था।