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हाई कोर्ट में आइटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई पर शीर्ष अदालत ने लगाई रोक

इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ सुनवाई अब 19 मई को करेगी। केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि इस मामले में शीर्ष कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Mon, 09 May 2022 06:12 PM (IST)
हेट स्पीच और ओटीटी के नियमन की मांग करने वाली याचिकाओं पर शीर्ष कोर्ट कर रहा था सुनवाई

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के अलग-अलग हाई कोर्ट में सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 या केबल टीवी नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 से जुड़े मामलों में यह आदेश दिया। पीठ हेट स्पीच के मुद्दे को उठाने और ओटीटी (ओवर द टाप) मंचों के नियमन की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा कि हम हाई कोर्ट मक्ष लंबित मामलों में आगे की सुनवाई पर रोक लगाने का निर्देश देते हैं।' पीठ इस मामले की सुनवाई अब 19 मई को करेगी। केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि इस मामले में शीर्ष कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं। उन्होंने कहा कि कुछ हाई कोर्ट ने वैधानिक नियमों पर रोक लगा दी है और केंद्र ने उन आदेशों के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है।

तुषार ने पीठ से हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया ताकि उन पर कोई आदेश पारित न किया जा सके। सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट में मौजूद एक वकील ने कहा कि उन्होंने केरल हाई कोर्ट में ऐसे मामलों में याचिका दायर की थी और हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश भी पारित कर दिया है।

केंद्र सरकार राजद्रोह कानून की करेगा समीक्षा

वहीं, दूसरी ओर सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने राजद्रोह कानून के प्रावधानों की फिर से जांच करने और पुनर्विचार का फैसला किया है और अनुरोध किया है कि जब तक सरकार इस मामले की जांच नहीं कर लेती, तब तक वह राजद्रोह के मामले पर सुनवाई नहीं करे। केंद्र सरकार राजद्रोह कानून की समीक्षा करेगा। इसे लेकर केंद्र ने दूसरा हलफनामा दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि 124ए के प्रावधानों पर पुनर्विचार और दोबारा जांच के लिए केंद्र सरकार तैयार है। कोर्ट को 124ए की वैधता पर सुनवाई के साथ आगे बढ़ने से पहले केंद्र के पुनर्विचार की प्रतीक्षा करनी चाहिए।