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दुनिया की 60 फीसदी आबादी ने इस साल झेली गर्मी, लगातार 12वें महीने वैश्विक औसत से 1.5 डिग्री अधिक रहा तापमान

इस साल आधी से अधिक दुनिया ने भीषण गर्मी का प्रकोप झेला है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष 0.14 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान दर्ज किया गया है। जून महीने में दुनिया के कई देशों ने प्रचंड गर्मी और बाढ़ का सामना किया है। अकेले भारत में हीट स्ट्रोक के 40000 मामले सामने आ चुके हैं। आशंका है कि इससे करीब 100 लोगों की जान जा चुकी है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Mon, 08 Jul 2024 10:59 PM (IST)
इस साल जून महीने सबसे गर्म किया गया दर्ज।

पीटीआई, नई दिल्ली। पांच महाद्वीपों में पिछले महीने करोड़ों लोगों ने भीषण गर्मी झेली। जून का महीना अब तक का सबसे गर्म महीना रहा। यह लगातार 12वां महीना भी रहा जब वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। सबसे बड़ी बात, ये हाल तब रहा जबकि पेरिस में 2015 में हुई संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में विश्वभर के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक काल से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

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पिछले साल से 0.14 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान

यूरोपीय संघ (ईयू) की जलवायु एजेंसी कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने भी सोमवार को पुष्टि कि बीता जून अब तक सबसे गर्म महीना रहा। इस दौरान औसत सतही वायु तापमान 16.66 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1991-2020 के महीने के औसत से 0.67 डिग्री सेल्सियस अधिक और जून 2023 में पिछले उच्चतम तापमान से 0.14 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

तो इस वजह से बढ़ रहा तापमान

पिछले साल जून से लेकर अब तक हर महीना सबसे गर्म दर्ज किया गया है। वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों मुख्य रूप से कार्बन डाइआक्साइड और मीथेन की तेजी से बढ़ती सांद्रता के कारण पृथ्वी की वैश्विक सतह का तापमान 1850-1900 के औसत की तुलना में पहले ही लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इस ताप वृद्धि को दुनियाभर में सूखा पड़ने, वनों में आग लगने और बाढ़ की रिकॉर्ड घटनाओं की वजह माना जाता है।

2015-16 में भी ऐसा ही हुआ था

सी3एस ने कहा कि 'यह महीना 1850-1900 (पूर्व औद्योगिक काल) के लिए अनुमानित जून के औसत तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था, जिससे यह 1.5 डिग्री सीमा तक पहुंचने या उसे तोड़ने वाला लगातार 12वां महीना बन गया।' वैसे मासिक वैश्विक तापमान रिकॉर्ड का ऐसा ही सिलसिला 2015-16 में पहले भी हुआ था। यह हमारी जलवायु में एक बड़े और निरंतर बदलाव को उजागर करता है।

60 फीसदी आबादी ने झेली गर्मी

जून में दुनिया की समुद्री सतह भी इस महीने में अब तक सबसे अधिक गर्म दर्ज की गई थी। जून में कई देशों को रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और विनाशकारी बाढ़ और तूफान का सामना करना पड़ा। अमेरिका स्थित वैज्ञानिकों के एक स्वतंत्र समूह क्लाइमेट सेंट्रल के एक विश्लेषण के अनुसार दुनिया की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी ने अत्यधिक गर्मी का सामना किया।

कहां-कितने लोगों ने झेली गर्मी

  • भारत में 61.90 करोड़
  • चीन में 57.90 करोड़
  • इंडोनेशिया में 23.10 करोड़
  • नाइजीरिया में 20.60 करोड़
  • ब्राजील में 17.60 करोड़
  • बांग्लादेश में 17.10 करोड़
  • अमेरिका में 16.50 करोड़
  • यूरोप में 15.20 करोड़
  • मेक्सिको में 12.30 करोड़
  • इथियोपिया में 12.10 करोड़
  • मिस्त्र में 10.30 करोड़

भारत में हीट स्ट्रोक के 40,000 मामले सामने आए

मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, उत्तर पश्चिमी भारत में 1901 के बाद सबसे गर्म जून दर्ज किया गया। देश में हीट स्ट्रोक (लू) के 40,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए जबकि 100 से अधिक लोगों की इससे मौत होने की आशंका है। भीषण गर्मी से जल आपूर्ति प्रणाली और बिजली ग्रिड पर भी प्रभाव पड़ा और दिल्ली समेत कई जगह भीषण जल संकट पैदा हो गया।

रात का तापमान भी बढ़ा

आइएमडी के अनुसार, अप्रैल से जून की अवधि के दौरान 11 राज्यों में 20 से 38 दिन लू वाले दर्ज किए गए। यह आंकड़ा, ऐसे दिनों की सामान्य संख्या की तुलना में चार गुना अधिक है। राजस्थान के कुछ हिस्सों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया और कई स्थानों पर रात का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा। पूर्वी कनाडा, पश्चिमी अमेरिका और मैक्सिको, ब्राजील, उत्तरी साइबेरिया, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी अंटार्कटिका में भी तापमान औसत से अधिक रहा।

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