सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल कानून की संवैधानिकता पर फैसला रखा सुरक्षित, संसद को लेकर कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल सुधार (संवैधानिकता और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। पीठ ने कहा कि यह कानून संसद में लंबे समय के बाद बनाया गया है और इसे लागू होने दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल कानून की संवैधानिकता पर फैसला रखा सुरक्षित (फोटो- एएनआई)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल सुधार (संवैधानिकता और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
पीठ ने कहा कि यह कानून संसद में लंबे समय के बाद बनाया गया है और इसे लागू होने दिया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के.विनोद चंद्रन की पीठ ने अटार्नी जनरल आर. वेंकटरामणि की दलीलें सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रखा है।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में अंतिम सुनवाई 16 अक्टूबर को शुरू की थी और वरिष्ठ वकीलों अरविंद दातार, गोपाल संकरनारायणन, सचित जाली और पोरस एफ. काका की दलीलें सुनीं। पीठ ने पूछा कि केंद्र कैसे उसी ट्रिब्यूनल सुधार कानून को ला सकता है, जिसके कई प्रविधानों को पहले ही निरस्त किया गया था, कुछ छोटे परिवर्तनों के साथ और वह भी बिना निर्णय के आधार को हटाए।
मुख्यन्यायाधीश ने कहा, ''मुद्दा यह है कि संसद कैसे उसी कानून को (जिसे निरस्त किया गया था) कुछ छोटे परिवर्तनों के साथ लागू कर सकती है। आप उसी कानून को लागू नहीं कर सकते।''
2021 का यह अधिनियम फिल्म प्रमाणन अपीलीय ट्रिब्यूनल समेत कुछ अपीलीय ट्रिब्यूनलों को समाप्त करता है और विभिन्न ट्रिब्यूनलों के न्यायिक और अन्य सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल से संबंधित शर्तों में संशोधन करता है।
याचिकाओं में 2021 के इस कानून को शीर्ष अदालत के पूर्व के निर्णयों के विपरीत बताया गया है, जिसमें कहा गया था कि ट्रिब्यूनल के सदस्यों का कार्यकाल कम से कम पांच वर्ष होना चाहिए और न्यूनतम 10 वर्ष के अनुभव वाले वकीलों को योग्य माना जाना चाहिए।
वेंकटरामणि ने कहा कि चयन प्रक्रियाओं में समानता लाने का उद्देश्य था। प्रमुख याचिकाकर्ता मद्रास बार एसोसिएशन की ओर से पेश दातार ने कहा कि अधिनियम के कुछ प्रविधान पूर्व के निर्णयों के विपरीत हैं।
ध्यान रहे कि यह अध्यादेश अप्रैल 2021 में लागू किया गया था। शीर्ष अदालत के निर्णय के बाद सरकार ने अगस्त में ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम को पारित किया, जिसमें निरस्त किए गए प्रविधानों के लगभग समान प्रविधान ही थे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।