Karnataka: दान के जरिये लाभार्थी के मतांतरण का प्रयास लोकतंत्र के लिए गंभीर, कर्नाटक में छात्रों से बोले उपराष्ट्रपति धनखड़
कर्नाटक की आदिचुन्चानगिरी विश्वविद्यालय पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद कमजोर और हाशिए पर रहे रहे लोगों की मदद बिना किसी शर्त के होनी चाहिए। दान का इस्तेमाल धर्म की स्वतंत्रता को कैद करने के लिए किया जाना चिंता का विषय है। जब आप हाशिए पर मौजूद लोगों के विश्वास को प्रभावित करते हैं तो ये और गंभीर हो जाता है।
पीटीआई, मांड्या। कर्नाटक की आदिचुन्चानगिरी विश्वविद्यालय पहुंचे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दान का संरचनात्मक तरीके से मतांतरण के लिए इस्तेमाल करने पर गंभीर चिंता जाहिर की। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सभ्यता से जुड़े हमारे मूल्य बताते हैं कि दान के बारे में कभी भी बताना नहीं चाहिए। उस पर दावा तो कभी करना ही नहीं चाहिए। बल्कि दान करके भूल जाना चाहिए।
लोगों की मदद बिना किसी शर्त के होनी चाहिए- उपराष्ट्रपति
आगे कहा कि जरूरतमंद, कमजोर और हाशिए पर रहे रहे लोगों की मदद बिना किसी शर्त के होनी चाहिए। दान का इस्तेमाल धर्म की स्वतंत्रता को कैद करने के लिए किया जाना चिंता का विषय है। जब आप हाशिए पर मौजूद लोगों के विश्वास को प्रभावित करते हैं तो ये और गंभीर हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस चलन से राष्ट्रीयता की भावना और संवैधानिक मूल्यों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
छात्रों को किया संबोधित
बी.जी. में आदिचुंचनगिरी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए। उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता का लोकाचार हमें बताता है, कभी भी दान की बात न करें। दान का दावा कभी नहीं किया जाना चाहिए। आप इसे करते हैं, और आप इसके बारे में भूल जाते हैं।हमें बेहद सतर्क और सावधान रहना होगा
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत समावेशी क्या है, इस पर हर किसी को मार्गदर्शन दे सकता है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से, जिस चीज से हम 5,000 से अधिक वर्षों से गुजर रहे हैं, उससे हमें सबक लेने की जरूरत नहीं है। केवल यह दर्शन ही टिकाऊ है और वैश्विक शांति और सद्भाव बनाता है, लेकिन कुछ लोगों की समावेशिता की एक अलग अवधारणा है जो समावेशिता की भावना के लिए विनाशकारी है। हमें बेहद सतर्क और सावधान रहना होगा।
कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा भी उपस्थित रहे
उपराष्ट्रपति ने संकट के दौरान धार्मिक संस्थानों की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि प्राकृतिक आपदाओं और अन्य समान चुनौतियों के समय धार्मिक संस्थानों के पदचिह्न सरकारी प्रयासों के पूरक हैं। आदिचुन्चानगिरी विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा भी उपस्थित रहे।कार्यक्रम में गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों और रणनीति पर ध्यान केंद्रित करते हुए संवाद हुआ। साथ ही आत्मनिर्भर भारत को प्रोत्साहित करने पर भी चर्चा हुई। उपराष्ट्रपति ने आदिचुन्चानगिरी शिक्षण ट्रस्ट के शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान की सराहना की। अंत में राष्ट्र निर्माण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए उपराष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा एक साथ ही हेलीकॉप्टर से बेंगलुरू गए।