Maharashtra Election Result: बेमेल चुनावी नैरेटिव... महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के 10 फैक्टर
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में पिछले महीने हुए चुनाव में उम्मीद के विपरीत लगे झटके के बावजूद महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करने का सुनहरा मौका गंवाने से साफ है कि पार्टी अपनी संगठनात्मक और रणनीतिक कमजोरी का समाधान निकालने में विफल हो रही है। झारखंड में आईनडीआईए गठबंधन की जीत के साथ केरल और कर्नाटक उपचुनाव के नतीजों की ओट लेकर पार्टी इस विफलता को ढंकने का चाहे प्रयास कर रही।
संजय मिश्र, जागरण नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन के दम पर मुख्यधारा की राजनीति में विपक्ष को वापस लौटने का दमखम दिखाने वाली कांग्रेस पांच महीने के दौरान ही एक बार फिर तेजी से लुढ़कती दिखाई दे रही है। महाराष्ट्र चुनाव में महाविकास अघाड़ी के साथ-साथ इसकी अगुवाई कर रही कांग्रेस की करारी हार इसका ताजा प्रमाण है।
हाशिए पर जाती कांग्रेस
चुनावी राजनीति में हार-जीत का चक्र असामान्य नहीं मगर कांग्रेस के लिए बनी यह स्थिति इस लिहाज से सोचनीय है कि पार्टी उन राज्यों में फिर हाशिए पर जाती दिख रही है जहां लोकसभा चुनाव में उसने मजबूत वापसी की थी। लोकसभा में एक समर्थित निर्दलीय समेत 14 सीटें हासिल कर महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस पांच महीने में ही विधानसभा में लुढ़क कर पांचवे पायदान की पार्टी बन गई है।
हरियाणा से भी बदहाल स्थिति
लोकसभा के नतीजों के आधार पर ही कांग्रेस नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी गठबंधन को सत्ता की प्रबल दावेदार माना जा रहा था मगर पार्टी यहां हरियाणा से भी बदहाल स्थिति में पहुंच गई है।कांग्रेस का दांव नाकाम
हरियाणा व जम्मू-कश्मीर के बाद महाराष्ट्र की मात इस बात का भी संकेत दे रही कि राज्यों के चुनाव को भी राष्ट्रीय विमर्श पर लड़ने का कांग्रेस का दांव नाकाम हो रहा है।
नैरेटिव बनाने की कोशिश
विधानसभा चुनाव की जमीनी हकीकत और जनता के मिजाज को भांपने की बजाय पार्टी ने हरियाणा की गलती से सबक न लेते हुए महाराष्ट्र में भी लोकसभा चुनाव के मुद्दे के जरिए ही नैरेटिव बनाने की कोशिश की।प्रचार अभियान का विमर्श
कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के प्रचार अभियान का विमर्श जातीय जनगणना, मित्र पूंजीवाद से लेकर चुनाव आयोग से लेकर तमाम संस्थानों पर भाजपा-आरएसएस के कब्जा कर लेने के ईद-गिर्द ही रहा।