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Punjab News: अकाली दल से निकाले गए बागी नेताओं के समर्थन में आए सुखदेव सिंह ढींडसा, अनुशासन कमेटी का फैसला किया रद

लोकसभा चुनाव में अकाली दल (SAD) को करारी हार मिली। जिसके बाद शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) के खिलाफ बगावत के सुर उठ खड़े हुए। पार्टी दो धड़ों में बंटती सी नजर आने लगी। बीते मंगलवार पार्टी की अनुशासन कमेटी ने पार्टी के आठ नेताओं को बाहर कर दिया। ये सभी सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ थे।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 31 Jul 2024 05:08 PM (IST)
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Punjab News: सुखदेव सिंह ढींढसा ने अनुशासन कमेटी का फैसला रद कर दिया है
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। हाल ही में पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) की अनुशासन कमेटी ने बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इस संदर्भ में बुधवार को पार्टी के सरपरस्त सुखदेव सिंह ढींडसा ने कमेटी के इस फैसले को रद कर दिया है।

ढींडसा ने कहा, यह कार्रवाई गैर-संवैधानिक है। यही नहीं ढींडसा ने पार्टी प्रधान पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, जिस तरह के आरोप उन पर लगे हैं, सुखबीर बादल अब पार्टी के प्रधान पद पर बैठने के हकदार नहीं हैं।

सुखदेव ने कहा नया प्रधान चुनें पार्टी

सुखदेव ने कहा कहा, वह पार्टी को कहेंगे कि वह जल्द ही इजलास बुलाए नया प्रधान चुने। अहम बात यह हैं कि शिअद द्वारा 8 नेताओं पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई करने के एक दिन बाद ही सुखदेव सिंह ढींडसा ने बागी गुट के साथ स्टेज साझा किया। ढींडसा ने तो यहां तक कहा कि सुखबीर बादल को कोई पसंद नहीं करता है। उन्हें प्रधान पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

पार्टी की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिन नेताओं को निकाला गया उसमें से किसी को भी नोटिस नहीं जारी किया गया। यह कार्रवाई असंवैधानिक है।

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ढींडसा यही नहीं रुके उन्होंने कहा, टकसाली अकालियों की कुर्बानियां हैं। अकालियों ने जेल काटी और हरेक मोर्चे पर लड़ाई लड़ी। सुखबीर बादल की न तो कोई कुर्बानी है और न ही उन्होंने जेल काटी। इसके बावजूद आज वह प्रधान बने बैठे हैं।

बेअदबी कांड पर भी बोले ढींडसा

वहीं, पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि डेरा सिरसा के राजनीतिक विंग के प्रमुख रहे प्रदीप कलेर को सुखबीर बादल ने बिचौलिए के रूप में प्रयोग किया। जबकि शिअद के प्रधान को पता था कि कलेर की बेअदबी कांड में क्या भूमिका थी।

यहां तक की सुखबीर ने अकाल तख्त के आदेश की भी अवहेलना की। जिसमें उन्हें डेरे के किसी भी व्यक्ति के साथ कोई भी संबंध नहीं रखने के आदेश दिए गए थे। इसके बावजूद सुखबीर ने प्रदीप कलेर के साथ संबंध रखे।

नेताओं की बर्खास्तगी पर बोले गुरप्रताप वडाला

वहीं, अकाली दल सुधार लहर के कन्वीनर व पार्टी से निकाले गए गुरप्रताप वडाला ने कहा, प्रदीप कलेर का बयान ने के बाद सिख संगत का ध्यान भटकाने के लिए पार्टी ने 8 नेताओं को बर्खास्त किया। क्योंकि सुखबीर बादल पर गंभीर आरोप लगे थे। उन्होंने कहा कि किसी ने भी पार्टी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है। बात अकाली तख्त को मजबूत करने की हो रही है।

वहीं, चंदूमाजरा ने कहा ‘बेअदबी के दोषियों से बातचीत करना व डेरा प्रमुख के साथ राफ्ता रखने के लिए उसका प्रयोग बिचौलिये के रूप में करना यह अनुशासनहीनता नहीं हैं।’

2017 में सुखबीर ने बात मानी होती तो ये दिन नहीं देखने पड़ते

ढींडसा पार्टी के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा 2017 में जब शिरोमणि अकाली दल की करारी हार हुई थी, उस समय की कोर कमेटी में मैंने सुखबीर को पार्टी प्रधान पद छोड़ देने की सलाह दी थी।

ढींडसा ने कहा, कोर कमेटी में मैंने प्रकाश सिंह बादल को प्रधान बनाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन सुखबीर नहीं माने। उन्होंने कहा, 2012 में पार्टी उनके ही नेतृत्व में जीत कर आई थी। ढींडसा ने कहा, अगर सुखबीर बादल ने उस समय मेरी बात मान ली होती तो आज यह दिन देखना नहीं पड़ता।

इन आठ नेताओं को पार्टी ने किया था बर्खास्त

पार्टी ने एक दिन पहले गुरप्रताप सिंह वडाला, बीबी जागीर कौर, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, परमिंदर सिंह ढींढसा, सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखड़ा, सुरिंदर सिंह ठेकेदार और चरणजीत सिंह बराड़ को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था।

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