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Punjab News: 'अगर मंच पर नहीं आए तो अकाली दल नहीं मनाने नहीं आएगा', SAD का बागी नेताओं को अल्टीमेटम

पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल के अंदर एक गुट सुखबीर सिंह बादल को हटाने की मांग कर रहा है। उनका मानना है कि शिअद चीफ को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहिए। इस बाबत अकाली नेताओं ने कहा है बागी नेताओं को पार्टी के मंच पर आकर अपनी बात रखनी चाहिए और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें पार्टी से बाहर माना जाएगा।

By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 26 Jun 2024 08:07 PM (IST)
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डॉ. दलजीत सिंह चीमा पत्रकारों से बातचीत करते हुए। जागरण
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (SAD) की वर्किंग कमेटी ने अलग गुट बनाने की कोशिश कर रहे अकाली नेताओं से कहा है कि उन्हें पार्टी के मंच पर आकर अपनी बात रखनी चाहिए और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें पार्टी से बाहर माना जाएगा।

पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता में हुई बैठक में वर्किंग कमेटी ने प्रस्ताव पारित कर साफ कर दिया है कि पार्टी अब बागी नेताओं को मनाने की कोशिश नहीं करेगी।

सभी सदस्यों न सुखबीर के नेतृत्व पर जताया भरोसा

वर्किंग कमेटी में लिए गए निर्णयों के बारे में पार्टी महासचिव बलविंदर सिंह भूंदड़, एसजीपीसी के अध्यक्ष जत्थेदार हरजिंदर सिंह धामी, डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि बैठक से पहले पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सभी सदस्यों से स्पष्ट कहा कि यदि सदस्य अगर उन्हें (बादल को) उन पर भरोसा नहीं है तो वह बैठक की अध्यक्षता नहीं करेंगे, इसलिए सभी सदस्यों ने सुखबीर के नेतृत्व पर भरोसा जताया है।

कांग्रेस ने पंजाब को पहुंचाया नुकसान: भूंदड़

भूंदड़ ने कहा कि कांग्रेस ने सिखों को धार्मिक और पंजाब को आर्थिक नुकसान पहुंचाया। अकाली दल पिछले 70 सालों से कांग्रेस के खिलाफ लड़ रहा है, लेकिन जब देश में बीजेपी शून्य पर थी, तब अकाली दल ने गठबंधन बनाया और राज्य में सरकार बनाई, लेकिन सिखों को नुकसान पहुंचाने में बीजेपी कांग्रेस से भी आगे निकल गई।

भूंदड़ ने कहा कि भाजपा ने पहाड़ी राज्यों को रियायतें दीं जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई। गुजरात और मुंबई से पाकिस्तान के साथ व्यापार हो रहा है, लेकिन अटारी बॉर्डर नहीं खोला जा रहा है।

भाजपा को अल्पसंख्यकों से है खतरा

बीबीएमबी चेयरमैन नियुक्त करने का अधिकार पंजाब से छीन लिया गया। प्रदेश की राजधानी, पंजाबी भाषी क्षेत्र पहले ही छीन लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों, सिखों, पारसियों, मुसलमानों और ईसाइयों को भाजपा से खतरा है।

उन्होंने कहा कि सिख धर्म और सिख समुदाय अब असुरक्षित महसूस कर रहा है। बागी नेताओं के बारे में भूंदड़ ने कहा कि वे बीजेपी के साथ समझौते की वकालत करते रहे, लेकिन सिखों और पंजाब के मुद्दों को हल किए बिना समझौता नहीं हो सका।

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