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अरुणाचल, कर्नाटक के बाद असम ने भी पंजाब का चावल किया रद; खराब गुणवत्ता के कारण हुआ नुकसान

Punjab News पंजाब के चावल को एक और झटका लगा है। असम सरकार ने राज्य में भेजे गए 11241 क्विंटल चावल को खराब गुणवत्ता के कारण अस्वीकार कर दिया है। यह चावल 4 नवंबर को संगरूर के दिमारपुर असम और नागालैंड भेजा गया था। इससे पहले अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक सरकार ने भी पंजाब का चावल रद्द कर दिया था।

By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 15 Nov 2024 10:57 PM (IST)
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असम ने पंजाब का चावल किया रद (जागरण फाइल फोटो)
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। अरुणाचल , कर्नाटक सरकार की ओर से पंजाब का चावल रद करने के बाद अब असम और नागालैंड में भेजा गया चावल भी तय मापदंडों पर खरा न उतरने के कारण रद हो गया है।

यह चावल 4 नवंबर को संगरूर के दिमारपुर असम और नागालैंड भेजा गया था। 23097 क्विंटल चावल के 18 वैगन भेजे गए थे जिसमें सुरसुरी लगी पाई गई और फोर्टिफइड राइस भी तय मापदंडों से कम है। ऐसा क्यों हो रहा है इसे लेकर मंथन शुरू हो गया है।

एफसीआई के अधिकारी कह रहे हैं कि मिलर्स की ओर से तय मापदंडों के अनुसार फोर्टिफाइड राइस तैयार नहीं किया जा रहा है। वहीं खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसमें मिलर्स का कोई कसूर नहीं है।

चावल स्वीकार करने के बाद जारी होता है सर्टिफिकेट

नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, असम और नागालैंड में भेजा गया यह चावल दो साल पहले ही मिलिंग करके केंद्र की एजेंसी एफसीआई को सौंप दिया गया है।

जब भी मिलिंग करके एफसीआई को सौंपा जाता है तो वे सारे मापदंडों की जांच करके ही चावल स्वीकार करके सर्टिफिकेट जारी करती है।

उसके बाद रख रखाव एफसीआई का है, इसका पंजाब सरकार से कोई लेना देना नहीं है। दूसरा, चावल खराब होने का कारण इसका एक जगह पर लंबे समय तक पड़ा रहना भी है। अगर चावल पंजाब से तय समय में मूव नहीं होगा तो यह खराब हो जाएगा जो कि अब हो रहा है।

इस समय पूरे देश में आठ सौ लाख टन अनाज पड़ा हुआ है जो हमारी मांग से कहीं ज्यादा है। ऐसे में इसको निर्यात करने या कम पैदा करवाने संबंधी नीति में बदलाव करने की बड़ी जरूरत है अन्यथा चावल इसी तरह खराब होता रहेगा।

अरुणाचल और कर्नाटक ने भी किया अस्वीकार

काबिले गौर है कि इससे पहले सार्वजनिक वितरण के लिए अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक को भेजे जाने के बाद राज्य में उगाए गए चावल को अस्वीकार किए जाने का यह तीसरा मामला है।

तीन सप्ताह पहले, अरुणाचल प्रदेश को भेजे गए चावल के नमूने खराब गुणवत्ता वाले और मानव उपभोग के लिए अनउपयुक्त  पाए गए थे।

खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा भेजी गई टीमों ने हुबली (कर्नाटक) में भंडारण डिपो और राशन डिपो से फोर्टिफाइड चावल के 26 नमूने एकत्र किए।

पटियाला जिले के नाभा से हुबली तक 7,304 बैग (3,568.837 क्विंटल) भेजे गए, जबकि जालंधर जिले के भोगपुर से 2,995 बैग (1,484.929 क्विंटल) भेजे गए थे।

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अब यह तीसरा मामला है जिसमें संगरूर जिले से दिमारपुर और नागालैंड में 23097 बैग जिसमें 11241 क्विंटल चावल था भेजा गया था तय मापदंडों में 3 फीसदी डैमेज चावल चल सकता है। लेकिन भेजे गए चावल में 3.9 प्रतिशत तक आ रहा है। इसी तरह इसमें सुरसुरी भी लगी हुई है।

धान को मिलिंग में लगवाने में आ रही दिक्कत

काबिले गौर है कि देश में चावल की मांग में कमी के कारण इस साल भी गोदाम खाली नहीं हो सके थे जिस कारण मिलर्स ने नई धान को अपने शैलरों में लगवाने से इनकार कर दिया।

इसी कारण इस साल धान को मिलिंग के लिए लगवाने में काफी दिक्कत आई और किसानों को कई कई दिनों तक मंडियों में धान बेचने का इंतजार करना पड़ा। 15 नवंबर होने के बावजूद अभी तक 25 प्रतिशत के लगभग फसल मंडियों में आनी बाकी है। जबकि आमतौर पर इन दिनों में फसल खरीद का काम खत्म हो जाता है।

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