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Red zone में चंडीगढ़! पराली के धुएं ने गंदी की The City Beautiful, आबोहवा में घुला जहर; पंजाब-हरियाणा को छोड़ा पीछे

चंडीगढ़ में प्रदूषण का स्तर पंजाब और हरियाणा के प्रमुख शहरों से भी ज्यादा हो गया है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के पार चला गया है जो बेहद खराब स्थिति को दर्शाता है। पराली जलाने वाहनों से होने वाले प्रदूषण और निर्माण गतिविधियों में वृद्धि प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। प्रदूषण का बढ़ता स्तर बच्चों और बुजुर्गों के लिए खासतौर पर हानिकारक है।

By Jagran News Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Thu, 07 Nov 2024 01:32 PM (IST)
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चंडीगढ़ में हरियाणा और पंजाब से ज्यादा प्रदूषण (फाइल फोटो)
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। पंजाब व हरियाणा के प्रमुख शहरों के मुकाबले चंडीगढ़ में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।ट्राईसिटी की हवा काफी खराब हो गई है। शहर में प्रदूषण का एयर क्वालिटी इंडेक्स दो दिन से 300 पार गया है।जो कि बेहद खराब स्थिति को दर्शाता है।

दक्षिणी सेक्टरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 301 तक पहुंच गया। चंडीगढ़ के साथ साथ पंचकूला भी काफी प्रदूषित हो गया है।यहां का एक्यूआइ 256 तक पहुंच गया है, जबकि सोमवार को यहां का एक्यूआइ 150 दर्ज किया गया था। प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर का असर खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे लोगों पर पड़ सकता है।

पंजाब व हरियाणा के प्रमुख शहरों में 250 से कम AQI

जबकि अमृतसर शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 226 है।फरीदाबाद में 240, लुधियाना 201, फरीदाबाद 236,रोहतक में 244,हिसार का 277,जींद 245 जलांधर का 172, कुरूक्षेत्र का 212 और कैंथल का 177 एयर क्वालिटी इंडेक्स दर्ज किया गया है।

दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 354 दर्ज किया गया है।जबकि इस समय फेस्टिवल सीजन भी खत्म हो गया है, लेकिन इस समय तापमान में गिरावट, सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने और पराली जलने के मामले बढ़ने के कारण शहर का प्रदूषण बढ़ रहा है।

यहां तक कि हिमाचल का बद्दी एरिया में सबसे ज्यादा इंडस्ट्री है लेकिन यहां का भी प्रदूषण चंडीगढ़ से कम है।यहां पर 269 दर्ज किया गया है। शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण के कई कारण हैं। इनमें पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना, वाहनों से होने वाला प्रदूषण और निर्माण गतिविधियों में वृद्धि प्रमुख रूप से शामिल हैं।

ठंड के साथ अगले सप्ताह तक प्रदूषण बढ़ने की संभावना

पर्यावरण विशेषज्ञों ने संभावना जताई है कि अगर सख्त कदम न उठाए गए तो ठंड बढ़ने के साथ-साथ अगले सप्ताह तक प्रदूषण और बढ़ सकता है। जिससे स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाएगा। इस समय शहर में प्रदूषण के मामले में ओरेंज से रेड जोन में पहुंच गया है।

उत्तरी के मुकाबले में दक्षिणी सेक्टरों में प्रदूषण ज्यादा बढ़ रहा है। जबकि चंडीगढ़ में अन्य शहरों के मुकाबले में हरियाली ज्यादा है, इसके बावजूद प्रदूषण शहर में बढ़ रहा है। ग्रीन सिटी चंडीगढ़ में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से 25 करोड़ रुपये का खर्चा किया जा चुका है लेकिन इसका असर कम ही दिखाई दे रहा है।

जब जब शहर में प्रदूषण बढ़ता है तो शहर में स्प्रिंक्लर व्हीकल से पानी का छिड़काव किया जाता है। शहर में कई जगह पौधे भी लगाए गए हैं। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनकैप) के तहत पिछले साल पहले यह नए वाहन लिए गए थे। इन वाहनों की खासियत यह है कि इनमें ट्रैकिंग सिस्टम भी पहले से ही है।

पराली के धुएं का चंडीगढ़ पर असर

पीजीआई के पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. रविंदर खेरवाल का कहना है कि इस समय प्रदूषण बढ़ने का सबसे बढ़ा कारण मौसम में बदलाव है। दो दिन में तापमान में गिरावट आई है। इसके साथ ही सर्दी में वाहनों की संख्या सड़कों पर ज्यादा बढ़ जाती है।

इसके अलावा पराली जलने का भी असर शहर में पड़ रहा है। मौसम में ठंडक बढ़ने के कारण प्रदूषक कण वायुमंडल में ऊपर नहीं जा पाते और यह सतह पर ही बने रहते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता और बिगड़ जाती है।

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