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Chandigarh News: एससीएफ की ऊपरी मंजिल में कॉमर्शियल एक्टिविटी वायलेशन नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को दिया झटका

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें एससीएफ को एससीओ या एससीसी में बदलने के बिना ऊपरी मंजिलों में व्यावसायिक गतिविधियों को मिसयूज माना गया था। इस फैसले से व्यापारियों को बड़ी राहत मिली है। अब प्रशासन को ऊपरी मंजिलों में कारोबार करने पर मिसयूज का नोटिस भेजने से पहले कई बार सोचना होगा।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 24 Nov 2024 10:55 AM (IST)
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चंडीगढ़ के सेक्टर 22 के शोरूम की फोटो
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। अब एससीएफ को एससीओ या एससीसी में बदलने बिना अगर कोई व्यापारी ऊपर की मंजिलो में अगर कॉमर्शियल कारोबार करता है तो प्रशासन को उसे मिसयूज का नोटिस भेजने से पहले दस बार सोचना पड़ेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के आए फैसले पर मुहर लगाते हुए यूटी प्रशासन को झटका देते हुए उनकी दायर अरजी को खारिज कर दिया है ।

प्रशासन ने सेक्टर-22 के एक शोरूम के मामले में पंजाब व हरियाणा के आए फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर की थी। जिसकी पहली सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने अरजी दाखिल कर दी। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट साल 2017 में सेक्टर-22 किरण ब्लॉक के एक शोरूम की सुनवाई करते हुए फैसला दिया था कि ऊपर की मंजिल में कारोबार करना मिसयूज नहीं है।

मालूम हो कि जब प्रशासन का संपदा विभाग इस समय बिना मंजूरी के एससीएफ और एससीओ की ऊपर की मंजिलों में कारोबार करने पर नोटिस जारी करता है इस समय शहर की सैकड़ों इमारतों को इस संबंध में मिसययूज नोटिस जारी किए हुए हैं। प्रशासन की ओर से ऐसे शॉप कम फ्लैट एवं ऑफिस को शॉप कम शॉप में कनवर्ट करवाने के लिए मोटा शुल्क अदा करना पड़ता है।

जिसे कम करने की मांग व्यापारी संगठन लंबे समय से कर रहे हैं।ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से अरजी खारिज होने के बाद प्रशासन के लिए कनवर्जन फीस चार्ज करना मुश्किल हो जाएगा। व्यापारियों का कहना है कि जब हाईकोर्ट कह चुका है कि ऊपर की मंजिल में कारोबार करना मिसयूज नहीं है तो फिर प्रशासन की कनवर्जन नीति का भी कोई मतलब नहीं रह जाता।

65 से 80 लाख रुपये तक चार्ज होता है कन्वर्जन शुल्क

प्रशासन एक शॉप कम फ्लैट को शाप कम आफिस में बदलने के लिए 65 लाख रुपये का शुल्क लेता है जबकि शॉप कम आफिस को शॉप कम शॉप में बदलने के लिए सेक्टर-17 में एक हजार रुपये प्रति स्केयर फीट और अन्य सेक्टरों के बाजारों के लिए 800 रुपये स्केयर फीट के हिसाब से शुल्क चार्ज करता है।

व्यापार मंडल के अध्यक्ष चरणजीव सिंह का कहना है कि जब प्रापर्टी पूरी कॉमर्शियल है तो फिर बाद में ऊपर की मंजिलों में कारोबार करने के लिए शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।वह तो शुरू से यह मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पिछली दो सलाहकार परिषद की बैठक में यह शुल्क कम करने की मांग उठाई थी।

उनका कहना है कि इस समय पूरा शहर के व्यापारी मिसयूज के नोटिसों से परेशान है। उनका कहना है कि एक शाप कम फ्लैट को शॉप कम शॉप में बदलने के लिए 80 लाख रुपये की फीस है जो कि काफी ज्यादा है जबकि व्यापारी पहले ही पूरे शोरूम की कीमत कॉमर्शियल के हिसाब से प्रशासन को दे चुका है।

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क्या है शॉप कम फ्लैट

शुरूवाती दौर में प्रशासन की ओर से शहर में शॉप कम फ्लैट अलॉट किए जाते थे। जिसे व्यापारी ग्राउंड फ्लोर पर अपना कारोबार करता था और ऊपर की मंजिलों में अपने परिवार के साथ रहता था लेकिन समय के साथ साथ कारोबार बढ़ने पर व्यापारी अपने परिवार के साथ यहां पर रिहायशी इलाकों में शिफ्ट हो गया।

ऊपर की मंजिलाें में काम करने लग गया लेकिन प्रशासन ने इसे पूरी तरह से कमर्शियल में बदलने की फीस चार्ज करनी शुरू कर दी।प्रशासन के अनुसार कन्वर्जन फीस न लेने से राजस्व का नुकसान होगा।इसलिए ही प्रशासन हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया था।

यह था मामला

प्रशासन ने सेक्टर-22 के एक शोरूम को ऊपर की मंजिल में कारोबार करने पर मिसयूज मानते हुए रिज्यूम का नोटिस भेज दिया था।जिसकी अपील आला अधिकारियों के साथ सलाहकार तक को की गई लेकिन कोई राहत नहीं मिली जिसके बाद मामला हाईकोर्ट में चला गया।

हाईकोर्ट ने सेक्टर 22 के शोरूम(शाप कम फ्लैट)को राहत देते हुए रिज्यूम के नोटिस को रद्द किया था।हाई कोर्ट ने यह कहा था कि प्रशासन प्रॉपर्टी को रिज्यूम ही नहीं कर सकता।हाईकोर्ट ने यह भी कहा था क्या दुकानदार अपना कारोबार बंद कर दे।

सेक्टर-22 की मार्केट एसोसिएशन (किरण ब्लाक) के सदस्यों ने इस लड़ाई में शोरूम में काम कर रहे व्यापारियों का पूरा सहयोग दिया क्योंकि यह मामला पूरे शहर और मार्केट के व्यापारियों को प्रभावित करने वाला है। सेक्टर 22 मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष विश्व दुग्गल का कहना है कि शोरूम नंबर 13 के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की अर्जी को डिसमिस किया है।

पूरी मार्केट के व्यापारियों ने इस केस में अपना सहयोग दिया है। उनका कहना है कि इसका प्रभाव पूरे शहर की कॉमर्शियल इमारत पर पड़ेगा। प्रशासन कन्वर्जन चार्ज नहीं ले सकता। शहर की जो भी कॉमर्शियल इमारत है। उसमें व्यापारी को अपना कारोबार किसी भी मंजिल में करने की मंजूरी होनी चाहिए।

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