Papankusha Ekadashi पर जरूर जान लें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र, कृपा बरसाएंगे श्री हरि
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को काफी शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। आश्विम माह में पापांकुशा एकादशी मनाई जाती है जिसे लेकर यह मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से साधक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं इस व्रत से संंबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, आश्विम माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2024) मनाई जाती है। इस दिन पर विष्णु जी की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से साधक को जीवन में अच्छे परिणाम मिलने लगते हैं। ऐसे में हम आपको इस व्रत से संबंधित मुहूर्त, पूजा विधि और विष्णु जी के मंत्रों के बारे में बताने जा रहे हैं, ताकि आपके व्रत में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न हो।
पापांकुशा एकादशी शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi Muhurat)
आश्विम माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 अक्टूबर यानी आज सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर प्रारंभ होगी। वहीं इस तिथि को समापन 14 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, पापांकुशा एकादशी का व्रत रविवार, 13 अक्टूबर को किया जाएगा। वहीं इस व्रत का पारण सोमवार, 14 अक्टूबर 2024 को किया जाएगा।
विष्णु जी की पूजा विधि (Ekadashi puja vidhi)
पापांकुशा एकादशी के दिन प्रातः काल में उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। अब पूजा स्थल की साफ-सफाई के बाद एक चौकी पर आसन बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापिक करें। प्रभु श्रीहरि के समक्ष एक शुद्ध घी या फिर तेल का दीपक जलाएं। अब पूजा में धूप-दीप और कपूर जलाएं। प्रसाद के रूप में विष्णु जी को फल और मिठाई अर्पित करें। इस के साथ भगवान विष्णु को गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए। भोग में तुलसी दल डालना न भूलें। अंत में एकादशी माता की आरती का पाठ करें और सभी में प्रसाद बांटें।
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विष्णु जी के मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो नारायणाय
ॐ विष्णवे नम:
ॐ हूं विष्णवे नम:
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय
विष्णु गायत्री मंत्र - ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
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