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Diye Ki Bati: पूजा के बाद जली हुई बाती को न फेंके, बल्कि नजर दोष से बचने के लिए करें ये काम

हिंदू धर्म में दीपक को ज्ञान के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। अक्सर कई लोग दीपक जलाने के बाद जली हुई बाती को कूड़ेदान या फिर पेड़ आदि में फेंक देते हैं। लेकिन पूजा की बाती को इस तरह फेंकना बिल्कुल भी शुभ नहीं माना गया है। बल्कि आप इस बाती के इस्तेमाल से कई समस्याओं से अपना बचाव कर सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 02 Aug 2024 04:27 PM (IST)
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Diye Ki Bati: पूजा के बाद जली हुई बाती का क्या करें? (Picture Credit: Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पूजा के दौरान या किसी धार्मिक कार्य में दीपक जालना बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पूजा-पाठ का एक अहम हिस्सा है। अक्सर लोग दीया जलाने के बाद इसकी बाती को इधर-उधर फेंक देते हैं या पेड़ आदि में डाल देते हैं। ऐसे में आज हमको बताने जा रहे हैं कि दीपक जलाने के बाद इसकी बाती का क्या करना चाहिए।

कर सकते हैं ये काम

दीपक जलाने के बाद बची हुई बाती को लगातार 10 दिनों तक इकट्ठा करें। इस दौरान ध्यान रखें कि जली हुई बाती को हमेशा पवित्र स्थान पर ही रखना चाहिए, इसलिए इन्हें पूजा घर में ही एक पात्र में डालकर रख सकते हैं। 11वें दिन इन सभी बाती को कपूर और चार लौंग डालकर जला दें और इसका धुआ पूरे घर में करें। इसके बाद इस दीपक को अपने घर की छत पर रख दें। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायता मिलती है।

राख का इस तरह करें उपयोग

ऊपर दिए हुए तरीके से पूजा की बची हुए बाती को जलाने के बाद आप उसकी राख का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि आप इस राख का तिलक लगाते हैं, तो इससे आप नजर दोष से बचें रह सकते हैं। यदि किसी बच्चे को नजर लग गई है तो उसके ऊपर से इस राख को सात बार घुमाएं और इसके बाद किसी पेड़ में डाल दें।

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कर सकते हैं ये उपाय

आप जली हुई बाती को किसी बहते हुई नदी में भी प्रभावित कर सकते हैं। अगर आपके लिए ऐसा करना संभव नहीं है, तो आप पूजा की बाती को मिट्टी में भी दबा सकते हैं। इससे आपको बाती को फेंकने के नकारात्मक परिणाम नहीं मिलते।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।