Brihaspati Dev Pujan: गुरुवार के दिन जरूर करें ये 5 काम, हो जाएंगे मालामाल
गुरुवार का दिन बेहद शुभ माना गया है। इस दिन देव गुरु बृहस्पति की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि बृहस्पति देव की पूजा करने से वैवाहिक जीवन मधुर रहता है। ऐसे में बृहस्पतिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में हल्दी डालकर स्नान करें। इसके अलावा उनके 108 नामों का जाप करें। इससे बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज गुरुवार का दिन है। यह दिन गुरु देव बृहस्पति को समर्पित है। शास्त्रों में इस दिन को बेहद खास माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो जातक इस दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव की उपासना करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं उनका वैवाहिक जीवन बहुत सुखद रहता है। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली का आगमन होता है। ऐसे में गुरुवार के दिन सुबह जल में हल्दी डालकर स्नान करें। फिर केला के पेड़ में जल चढ़ाएं और उसके सामने दीपक जलाकर उनके 108 नामों (Brihaspati Dev Ke 108 Names) का जाप करें।
आरती से पूजा को पूरा करें। इस उपाय को 5 गुरुवार तक करें। ऐसा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होगी, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।
गुरुवार के दिन करें ये काम
- भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा करें।
- इस दिन बृहस्पति देव के 108 नामों का जाप करें।
- सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- हल्दी का तिलक लगाएं।
- पीले वस्त्र धारण करें।
।।बृहस्पति देव के 108 नाम।।
- ॐ गुरवे नमः
- ॐ गुणाकराय नमः
- ॐ गोप्त्रे नमः
- ॐ गोचराय नमः
- ॐ गोपतिप्रियाय नमः
- ॐ गुणिने नमः
- ॐ गुणवंतांश्रेष्ठाय नमः
- ॐ गुरूनां गुरवे नमः
- ॐ अव्ययाय नमः
- ॐ जेत्रे नमः
- ॐ जयंताय नमः
- ॐ जयदाय नमः
- ॐ जीवाय नमः
- ॐ अनंताय नमः
- ॐ जयावहाय नमः
- ॐ अंगीरसाय नमः
- ॐ अध्वरासक्ताय नमः
- ॐ विविक्ताय नमः
- ॐ अध्वरकृते नमः
- ॐ पराय नमः
- ॐ वाचस्पतये नमः
- ॐ वशिने नमः
- ॐ वश्याय नमः
- ॐ वरिष्ठाय नमः
- ॐ वाग्विचक्षणाय नमः
- ॐ चित्तशुद्धिकराय नमः
- ॐ श्रीमते नमः
- ॐ चैत्राय नमः
- ॐ चित्रशिखंडिजाय नमः
- ॐ बृहद्रथाय नमः
- ॐ बृहद्भानवे नमः
- ॐ बृहस्पतये नमः
- ॐ अभीष्टदाय नमः
- ॐ सुराचार्याय नमः
- ॐ सुराराध्याय नमः
- ॐ सुरकार्यहितंकराय नमः
- ॐ गीर्वाणपोषकाय नमः
- ॐ धन्याय नमः
- ॐ गीष्पतये नमः
- ॐ गिरीशाय नमः
- ॐ अनघाय नमः
- ॐ धीवराय नमः
- ॐ धीषणाय नमः
- ॐ दिव्यभूषणाय नमः
- ॐ धनुर्धराय नमः
- ॐ दैत्रहंत्रे नमः
- ॐ दयापराय नमः
- ॐ दयाकराय नमः
- ॐ दारिद्र्यनाशनाय नमः
- ॐ धन्याय नमः
- ॐ दक्षिणायन संभवाय नमः
- ॐ धनुर्मीनाधिपाय नमः
- ॐ देवाय नमः
- ॐ धनुर्बाणधराय नमः
- ॐ हरये नमः
- ॐ सर्वागमज्ञाय नमः
- ॐ सर्वज्ञाय नमः
- ॐ सर्ववेदांतविद्वराय नमः
- ॐ ब्रह्मपुत्राय नमः
- ॐ ब्राह्मणेशाय नमः
- ॐ ब्रह्मविद्याविशारदाय नमः
- ॐ समानाधिकनिर्मुक्ताय नमः
- ॐ सर्वलोकवशंवदाय नमः
- ॐ ससुरासुरगंधर्ववंदिताय नमः
- ॐ सत्यभाषणाय नमः
- ॐ सुरॆंद्रवंद्याय नमः
- ॐ देवाचार्याय नमः
- ॐ अनंतसामर्थ्याय नमः
- ॐ वेदसिद्धांतपारंगाय नमः
- ॐ सदानंदाय नमः
- ॐ पीडाहराय नमः
- ॐ वाचस्पतये नमः
- ॐ पीतवाससे नमः
- ॐ अद्वितीयरूपाय नमः
- ॐ लंबकूर्चाय नमः
- ॐ प्रकृष्टनेत्राय नमः
- ॐ विप्राणांपतये नमः
- ॐ भार्गवशिष्याय नमः
- ॐ विपन्नहितकराय नमः
- ॐ बृहस्पतये नमः
- ॐ सुराचार्याय नमः
- ॐ दयावते नमः
- ॐ शुभलक्षणाय नमः
- ॐ लोकत्रयगुरवे नमः
- ॐ सर्वतोविभवे नमः
- ॐ सर्वेशाय नमः
- ॐ सर्वदाहृष्टाय नमः
- ॐ सर्वगाय नमः
- ॐ सर्वपूजिताय नमः
- ॐ अक्रोधनाय नमः
- ॐ मुनिश्रेष्ठाय नमः
- ॐ नीतिकर्त्रे नमः
- ॐ जगत्पित्रे नमः
- ॐ सुरसैन्याय नमः
- ॐ विपन्नत्राणहेतवे नमः
- ॐ विश्वयोनये नमः
- ॐ अनयोनिजाय नमः
- ॐ भूर्भुवाय नमः
- ॐ धनदात्रे नमः
- ॐ भर्त्रे नमः
- ॐ जीवाय नमः
- ॐ महाबलाय नमः
- ॐ काश्यपप्रियाय नमः
- ॐ अभीष्टफलदाय नमः
- ॐ विश्वात्मने नमः
- ॐ विश्वकर्त्रे नमः
- ॐ श्रीमते नमः
- ॐ शुभग्रहाय नमः
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