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Devshayani Ekadashi 2024: इन चीजों के बिना अधूरी है देवशयनी एकदशी की पूजा, अभी नोट करें सामग्री लिस्ट

इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ दिन पर श्री हरि क्षीर सागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं और चार महीने के बाद देवप्रबोधनी एकादशी के दिन जागते हैं। देवशयनी एकदशी को आषाढ़ी एकादशी पद्मा एकादशी हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Fri, 05 Jul 2024 12:27 PM (IST)
Devsha ani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी पूजन सामग्री लिस्ट -

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर श्री हरि क्षीर सागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं और चार महीने के बाद देवप्रबोधनी एकादशी के दिन जागते हैं। देवशयनी एकदशी को आषाढ़ी एकादशी, पद्मा एकादशी, हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

यह एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। ऐसा माना जाता है कि जो साधक इस दिन के उपवास का पालन करते हैं, उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, तो आइए व्रत से पूर्व इसकी पूजन सामग्री के बारे में जान लेते हैं, जो इस प्रकार हैं -

देवशयनी एकादशी पूजन सामग्री लिस्ट

  • चौकी
  • पीला वस्त्र
  • दीपक
  • गोपी चंदन
  • गंगाजल
  • शुद्ध जल
  • आम के पत्ते
  • कुमकुम
  • फल
  • पीले फूल
  • मिठाई
  • अक्षत
  • पंचमेवा
  • धूप
  • भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा
  • घी
  • बत्ती
  • एकादशी कथा पुस्तक
  • पंजीरी
  • पंचामृत
  • केले के पत्ते
  • गुड़
  • शहद
  • आसन

देवशयनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, देवशयनी एकादशी की शुरुआत 16 जुलाई, 2024 दिन मंगलवार को रात 08 बजकर 33 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 17 जुलाई, 2024 दिन बुधवार को रात 09 बजकर 02 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस साल देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा।

श्री हरि पूजन मंत्र

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

धन के लिए

  • ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

    ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

श्री हरि पंचरूप मंत्र

  • ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।