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Karva Chauth 2024: सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर छलनी से क्यों करती हैं चंद्र दर्शन? बेहद खास है इसकी वजह

करवा चौथ का त्योहार बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल यह व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि इसका (Karwa Chauth 2024) पालन करने से जीवन में शुभता आती है। साथ ही सौभाग्य में वृद्धि होती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 07 Oct 2024 01:00 PM (IST)
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Karva Chauth 2024: छलनी से क्यों देखा जाता है चांद?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। करवा चौथ का पर्व हर साल विवाहित महिलाओं के बीच बहुत उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं 'निर्जला' व्रत रखती हैं और शिव परिवार की पूजा करती हैं। इसके साथ ही महिलाएं अपने पतियों की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। वहीं, इस मौके पर कई पति भी अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ (Karva Chauth 2024) कार्तिक माह में पूर्णिमा के बाद चौथे दिन मनाया जाता है। इस साल यह 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

छलनी से क्यों देखा जाता है चांद? (Karva chauth Sieve Importance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी ने चंद्रदेव को कलंकित होने का श्राप दिया था। इस वजह से करवा चौथ पर सीधे तौर पर चंद्र दर्शन (Karvachauth 2024 Chand Significance) नहीं किया जाता है। इसके साथ ही इसके अशुभ परिणामों से बचने के लिए छलनी का उपयोग किया जाता है। ताकि व्यक्ति को किसी प्रकार की नकारात्मकता का सामना न करना पड़े।

इसलिए रखते हैं छलनी पर दीया?

छलनी में दीपक रखने को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यह पवित्र दीपक अपनी लौ के जरिए जीवन के अंधकार को दूर करता है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसके अलावा यह कलंक के प्रभाव को भी कम करता है।

करवा चौथ का धार्मिक महत्व (Karva Chauth 2024 Significance Or Important)

करवा चौथ हिंदू महिलाओं के जीवन में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के पूजन अनुष्ठान का आयोजन करती हैं। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ को देवी पार्वती की पूजा करने से रिश्ते में मधुरता आती है। साथ ही सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसलिए सनातन धर्म में इस व्रत का बहुत ज्यादा महत्व है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।