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Shardiya Navratri 2024 Day 6: छठा दिन मां कात्यायनी को है समर्पित, इस कथा के पाठ से संकट होंगे दूर

देशभर में शारदीय नवरात्र का उत्सव मनाया जा रहा है। इस दौरान मां दुर्गा के मंदिरों में खास रौनक देखने को मिल रही है। पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्र का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। माना जाता है कि मां कात्यायनी (Maa Katyayani Vrat Katha) की कृपा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 07 Oct 2024 05:44 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2024: जरूर करें इस कथा मां कात्यायनी

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र का छठा दिन 08 अक्टूबर को है। इस शुभ अवसर पर मां दुर्गा का छठे स्वरूप मां कात्यायनी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाएगी। साथ ही जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाएगा। धार्मिक मत है कि मां कात्यायनी की उपासना करने से विवाह संबंधी बाधा समेत कई परेशानियों से मुक्ति मिलती है और संकटों से छुटकारा मिलता है। इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा (Maa Katyayani Katha) का पाठ जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। आइए पढ़ते हैं मां कात्यायनी की व्रत कथा।

मां कात्यायनी व्रत कथा (Maa Katyayani Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि कात्यायन मां दुर्गा के भक्त थे। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए मां भगवती की तपस्या की। उनकी तपस्या से मां भगवती प्रसन्न हुईं और उन्हें दर्शन दिए। ऐसे में महर्षि कात्यायन ने मां भगवती के सामने अपनी एक इच्छा जाहिर की। इसपर मां ने एक वचन दिया कि वह उनके घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी।

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फिर एक समय ऐसा आया कि महिषासुर का अत्याचार तीनों लोकों पर अधिक बढ़ गया। उसी समय ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रकाश से महर्षि कात्यायन के घर पुत्री का जन्म हुआ। महर्षि के घर जन्म लेने के कारण उसका नाम कात्यायनी रखा। इसके बाद ऋषि कात्यायन ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर मां कात्यायनी की सच्चे मन से पूजा की। इसके बाद मां कात्यायनी ने आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर महिषासुर का वध किया। तीनों लोकों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई।

मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि की शुरुआत 08 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 17 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 08 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से होगी।

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 29 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 05 मिनट से 02 बजकर 52 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 59 मिनट से 06 बजकर 23 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।