खतरे में है आपका Gmail, स्कैमर AI के इस्तेमाल से पलक झपकते ही हैक कर ले रहे हैं अकाउंट
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ रही है स्कैमर्स भी एडवांस होते जा रहे हैं। अब स्कैमर्स एआई का सहारा लेकर यूजर्स के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। आजकल स्कैमर्स के टारगेट पर जीमेल यूजर्स हैं जो एआई कॉल का सहारा लेकर उनका अकाउंट हैक कर रहे हैं। दुनियाभर में गूगल की मेलिंग सर्विस जीमेल के 2.5 बिलियन यूजर हैं जो इन दिनों स्कैमर्स के टारगेट पर हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से कई काम अब चुटकियों में हो सकते हैं। लेकिन, इसके कई खतरे भी हैं। एआई की मदद से हैकर्स एआई-जेनरेटेड कोड, फिशिंग इमेल और डीपफेक का इस्तेमाल कर फ्रॉड कर रहे हैं। एआई की मदद से हो रहे फ्रॉड इतने रियलिस्टिक हैं कि सिक्योरिटी एक्सपर्ट भी कई बार गच्चा खा जाते हैं। Forbes ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि सुपर-रियलिस्टिक एआई स्कैम के जरिए स्कैमर जीमेल अकाउंट को टारगेट कर रहे हैं।
कैसे काम करता है ये AI स्कैम
स्कैम का यह तरीका काफी हद तक सामान्य फिशिंग के तरह का लेकिन, एआई की मदद से स्कैमर्स इसमें ज्यादा सफल हो रहे हैं। स्कैमर्स यूजर्स को जीमेल अकाउंट रिस्टोर करने के लिए मैसेज भेजते हैं। इस मेल में उनके पास एक कन्फर्मेशन लिंक आता है। इसके साथ यूजर्स अगर मेल इग्नोर कर देते हैं तो स्कैमर्स एआई से कॉल भी करते हैं।
अगर कोई यूजर इस कॉल को रिसीव करता हैं तो एआई के जरिए स्कैमर उनसे बात करते हैं। स्कैमर उन्हें गूगल अकाउंट पर संदिग्ध एक्टिविटी को लेकर इन्फॉर्म करते हैं। कई बार यूजर्स स्कैमर्स के झांसे में आ जाते हैं। इसके बाद वे स्कैमर के फिशिंग मेल को अनजाने में ओपन कर दिए लिंक पर क्लिक कर देते हैं। ये लिंक यूजर के गूगल बिजनेस पेज का एक्सेस स्कैमर्स को दे देता है।
कैसे करें स्कैम की पहचान
इस तरह होने वाली हैक की कोशिश सभी यूजर के लिए काफी खतरनाक है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि स्कैम के इन तरीकों को कैसे पहचान सकते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिनसे आप स्कैम की इन कोशिश की आसानी से पहचान कर सकते हैं।किसी भी स्कैम की पहचान करना तब और भी आसान हो जाता है, जिसमें स्कैमर जल्दबाजी दिखाते हैं। वे आपके सामने पैनिक सिचुएशन क्रिएट करने की कोशिश करते हैं। अगर आपके साथ कभी ऐसा कुछ हो तो समझ जाएं कि मामला कुछ गड़बड़ है।इसके साथ ही स्कैम को लेकर हिंट ऐसे भी मिलता है कि ज्यादातर कंपनियों की सपोर्ट टीम फोन पर यूजर के साथ कॉन्टैक्ट नहीं करती हैं। वे यूजर से उनका पासवर्ड या दूसरी निजी जानकारी नहीं पूछती हैं।