'10वीं कक्षा की परीक्षा में फेल होने और PHD के लिए आवेदन करने जैसा'...ओवैसी ने ताजमहल के संरक्षण पर ASI पर कसा तंज
Taj Mahal News ताजमहल के लिए संकट बन रहे लोहे के क्लैंप व रॉड। जंग लगने पर फूलने की वजह से चटक जाते हैं पत्थर। गुरुवार को ताजमहल के मुख्य मकबरे में पानी की बूंदें आने के बाद एएसआई ने वहां छानबीन की और पाया कलश के जरिए भारी बरसात का पानी अंदर आया है। एएसआई पर ओवैसी ने तंज कसते हुए एक्स पर पोस्ट की है।
जागरण संवाददाता, आगरा। ताजमहल और अन्य स्मारकों में मुगल काल में लगाए गए लोहे के क्लैंप और राड से संकट बढ़ रहा है। इनके नमी व आक्सीजन के संपर्क में आने से जंग लगने पर पत्थर चटक रहे हैं। ताजमहल के मुख्य मकबरे में पानी टपकने के लिए भी विभाग यही संभावना जता रहा है कि कलश में इस्तेमाल हुई लोहे की राड में जंग लगने से यह स्थिति हुई है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ताजमहल, आगरा किला के मुसम्मन बुर्ज व मोती मस्जिद में लोहे के क्लैंप व राड को स्टील के क्लैंप व राड से बदल चुका है। जिले में लगातार दो दिन तक हुई वर्षा से ताजमहल में मुख्य मकबरे में स्थित शाहजहां व मुमताज की कब्रों वाले कक्ष में गुरुवार को पानी टपका था।
एएसआई ने इसकी जांच कराई थी, जिसमें पत्थरों या छत में किसी तरह की लीकेज के साक्ष्य नहीं मिले थे। एएसआई अधिकारियों ने संभावना जताई थी कि गुंबद के शीर्ष पर लगे कलश में कहीं रस्टिंग की वजह से पानी अंदर तक पहुंचा है।
लोहे के क्लैंप और गुंबद पर रॉड का है इस्तेमाल
दरअसल, मुगल काल में ताजमहल, आगरा किला समेत अन्य स्मारकों में पत्थरों के जोड़ को मजबूत बनाने के लिए लोहे के क्लैंप और गुंबद व बुर्जियों पर कलश लगाने को लोहे की राड का इस्तेमाल किया गया था। ताजमहल में मुख्य मकबरे के गुंबद पर ऊपर चढ़ने को लोहे के छल्ले व चेन भी लगाई गई थी। लोहे से बनी वस्तुओं में नमी व आक्सीजन के संपर्क में आने से जंग लग जाती है, इससे वह फूलने लगता है। स्मारकों में पत्थरों के जोड़ में लोहे की जो क्लैंप अंदर की तरपु हैं, वह सही हैं। बाहर की तरफ लगी क्लैंप व राड के जंग की वजह से फूलने से पत्थरों में चटक आ जाती है।
ताजमहल का मुख्य गुंबद का प्लेटफॉर्म।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।तूफान से पहुंची थी ताजमहल को काफी क्षति
अप्रैल, 2018 में आए तूफान के समय ताजमहल को काफी क्षति पहुंची। रायल गेट की उत्तर-पश्चिमी पिलर पूरी तरह टूट गया था। इसमें अंदर की तरफ लगी लोहे की राड के स्थान पर एएसआई ने स्टील की राड लगाई थी। रायल गेट के ऊपर उत्तरी व दक्षिणी दिशा में 11-11 छोटी बुर्जियां बनी हुई हैं। इनमें लगे लोहे के क्लैंप काफी फूल गए थे, जिससे पत्थर चटक रहे थे। एएसआई ने लोहे के क्लैंप की जगह स्टील के क्लैंप लगाए थे। आगरा किला स्थित मुसम्मन बुर्ज व मोती मस्जिद के संरक्षण में भी लोहे के क्लैंप को स्टील के क्लैंप से बदला गया था। ये भी पढ़ेंः शाहजहां के मकबरे तक पहुंचा पानी: भारी बरसात के बाद ताजमहल के कलश में लगी जंग से टपकी थीं मुख्य गुंबद के अंदर बूंदेंमुगल काल में स्मारकों में लगाए गए लोहे के क्लैंप जंग लगने पर फूल जाते हैं, जिससे पत्थर चटक जाते हैं। स्मारकों में संरक्षण के समय इनके स्थान पर स्टील के क्लैंप व राड का इस्तेमाल किया जा रहा है। - डा. राजकुमार पटेल, अधीक्षण पुरातत्वविद