1965 से विवाद की शुरुआत... इंदिरा गांधी सरकार ने एक्ट में किया बदलाव; AMU के अल्पसंख्यक स्वरूप का क्या है मामला?
AMU News सुप्रीम कोर्ट ने 43 से एस अज़ीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले को खारिज कर दिया जिसमें 1967 में कहा गया था कि चूंकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मुद्दे पर रेगुलर बेंच द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 4:3 से एस अज़ीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले को खारिज कर दिया, जिसमें 1967 में कहा गया था कि चूंकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मुद्दे पर रेगुलर बेंच द्वारा निर्णय लिया जाएगा। आइए जानते हैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का क्या है पूरा मामला?
दरसअल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर 1965 से विवाद की शुरुआत हुई थी। तत्कालीन केंद्र सरकार ने 20 मई 1965 को एएमयू एक्ट में संशोधन कर स्वायत्तता को खत्म कर दिया था, जिसे अजीज बाशा ने 1968 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
पांच जजों की बेंच ने सुनाया था फैसला
पांच जजों की बैंच ने फैसला दिया कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। इसमें खास बात ये रही कि एएमयू को पार्टी नहीं बनाया गया था। 1972 में इंदिरा गांधी सरकार ने भी माना कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। यूनिवर्सिटी में इसका विरोध भी हुआ। बाद में इंदिरा गांधी सरकार ने 1981 में एएमयू एक्ट में बदलाव कर यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान माना।हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ SC पहुंचा एएमयू
2006 में एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में एमडी, एमएस की 50 प्रतिशत सीट मुसलमानों को आरक्षित करने के विरोध में हिंदू छात्र इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता। इस फैसले के विरोध में एएमयू सुप्रीम कोर्ट चला गया। तभी से यह केस विचाराधीन है।सुप्रीम कोर्ट ने अब क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने 4:3 से एस अज़ीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले को खारिज कर दिया, जिसमें 1967 में कहा गया था कि चूंकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मुद्दे पर रेगुलर बेंच द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
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